अगले तीन साल मे भाजपा का होगा बहुमत
सत्तासीन भाजपा का भले ही विधान सभा में प्रचण्ड बहुमत हो पर वह उच्च सदन में अभी अल्पमत में ही रहेगी। सूत्रों की माने तो भाजपा का विधान परिषद में अगले तीन सालों में बहुमत हासिल हो जायेगा। इसी बीच यहां पर सपा ही भारी रहेगी। आगामी पांच मई के बाद सपा सदस्यों की संख्या ५५ हो जायेगी। जबकि इस सदन में कुल सदस्यों की संख्या १०० है। इस तरह यहां पर सपा का दबदबा अभी कायम रहेगा। ऐसे में भाजपा को यहां पर विधेयक पारित कराने के लिए मशक्कत ही करनी पड़ेगी। पहले ही तरह सपा के बहुमत के कारण भाजपा को विधानसभा में दोबारा विधेयकों को पारित कराना होगा।
लखनऊ। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के उच्च सदन यानी विधान परिषद में भाजपा का धाक बढ़ गयी। पार्टी के सदस्यों की संख्या अब २१ हो जायेगी। लेकिन यहां पर अभी मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का दबदबा बरकरार रहेगा। इस चुनाव में भाजपा ने दूसरे दलों से आए बागियों के प्रति अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखा। उन्हें पुन: उच्च सदन में पुन: पहुंचा कर एक तरह से सम्मान देने का काम किया।
आगामी पांच मई को रिक्त हो रही विधान परिषद की १३ सीटों पर प्रत्याशियों का आज निर्वाचन हो गया। क्योंकि सभी दलों ने अपने विधायकों की संख्या के अनुपात में ही प्रत्याशी उतारे थे। इससे मतदान की नौबत नहीं आयी। इस निर्वाचन के बाद सत्तारूढ़ भाजपा सदस्यों की संख्या १३ से बढ़कर २१ हो जायेगी। वहीं विपक्षी दल सपा के सदस्यों की संख्या ६१ से घटकर भले ही ५५ हो जायेगी लेकिन उसका अभी इस सदन में दबदबा बरकरार रहेगा। बसपा सदस्यों की संख्या ९ से घटकर अब ८ हो जायेगी। वहीं रालोद के एक सदस्य का कार्यकाल पूरा होने पर उसकी उपस्थिति शून्य हो हो जायेगी। वही इस चुनाव में भाजपा को ९ सीटों का फायदा हो रहा है। जबकि सपा को करीब ६ सीटों का नुकसान हो रहा है।
सौ सदस्यों वाले इस उच्च सदन से आगामी पाच मई को १२ सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसमें सपा मुखिया अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, राजेन्द्र चौधरी, उमर अली खान, डॉ मधु गुप्ता, राम सकल एवं विजय यादव शामिल है। इसमें सपा नरेश उत्तम पटेल को दोबारा उच्च सदन भेज रही है। बसपा के विजय प्रताप सिंह एवं सुनील चित्तौड़ का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। लेकिन राज्यसभा चुनाव में हार का दंश झेल चुके भीम राव अंबेडकर को बसपा उच्च सदन भेज रही है। भाजपा के दो सदस्य डॉ महेन्द्र कुमार सिंह एवं मोहसिन रजा का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। पार्टी ने इन्हें दोबारा उच्च सदन भेजने जा रही है। सपा से बसपा में आए अंबिका चौधरी के असम्बद्घ हो जाने के कारण एक सीट पहले से ही रिक्त चल रही थी। इस तरह कुल १३ सीटों के लिए निर्वाचन हो गया।
इसके अलावा भाजपा ने संकट के समय दूसरे दलों से आए बागियों के प्रति विश्वास की डोर मजबूत करने के दोबारा विधान परिषद भेजने का काम किया। इसमें सपा से आए यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, सरोजनी अग्रवाल एवं बसपा के ठा जयवीर सिंह के ऐहसान का बदला चुका दिया। इसके साथ ही भाजपा ने संगठन एवं सत्ता के बीच चल रही तनातनी को विराम देने के लिए प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर के अलावा पूर्व कोषाध्यक्ष अशोक धवन को भी उच्च सदन भेज दिया। इसी तरह सहयोगी अपना दल से संबंध मधुर रखने के लिए भाजपा ने केन््रद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति अशीष पटेल को भी उच्च सदन भेजने का काम किया। इसी कारण पार्टी के वरिष्ठï नेता डॉ लक्ष्मी कांत बाजपेयी, डा रमापति राम त्रिपाठी , ओम प्रकाश सिंह जैसे नेताओं को सतोष करना पड़ा। इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठï नेताओं में असंतोष उभर रहा है।