हिन्दू धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व है। वैशाख मास की पूर्णिमा को भगवान विष्णु समुद्र मंथन के समय कूर्म (कच्छप) अवतार लेकर मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर संभाला था। कूर्म पुराण के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का अवतार धारण किया था। जिसके चलते इस दिन कूर्म जयंती भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के रूप में मनाई जाती है।
शास्त्रों में इस दिन को निर्माण कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई मनुष्य घर की चाहत रखता है तो उसे भगवान विष्णु के कूर्म स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और पीले नैवद्य का भोग लगाने से जल्द ही मकान संबंधी ईच्छा पूरी होती है। कूर्म जयंती नया घर, भूमि आदि के पूजन के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।
कूर्म जयंती पर विशेष दिवस पर घर से वास्तु दोष दूर किए जा सकते हैं। नए घर बना रहे हैं तो घर की नींव में चांदी का कछुआ रखने से परिवार में संपन्नता और खुशहाली सदैव बनी रहती है।
बच्चों के कमरे में मिट्टी के कछुए को स्थापित करें। शयन कक्ष में धातु का कछुआ रखने से नींद अच्छी आती है। किचन में कछुए की स्थापना करने पर वहां पकने वाला भोजन रोगों के मुक्ति दिलाता है। घर की छत पर कूर्म की स्थापना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।