कश्मीर। जब तब कश्मीर में पत्थरबाजों द्वारा की जा रही पत्थरबाजी से जूझते सैनिकों की मनोदशा और उसके बावजूद उनका खूद पर संयम बनाये रख्ना हालांकि कभी कभार जब पत्थरबाज हद पार कर जायें तो बचाव में की गई सेना की कारवाई पर सवालिया निशान लगाया जाना इन तमाम बातों से परे अब बखूबी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने इसका खुलकर जवाब दिया है।
गौरतलब है कि जनरल रावत ने एकप्रमुख अंग्रेजी दैनिक को दिए इंटरव्यू में कहा है कि ये पत्थरबाज भारतीय सेना से नहीं लड़ सकते हैं और इस तरह से उन्हें आजादी नहीं मिल सकती है। सेना प्रमुख ने कश्मीरी युवाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें लगता है कि हम उनके लिए लड़ेंगे जो अलग होकर आजादी पाना चाहते हैं तो ऐसा नहीं होगा, कभी भी नहीं।
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि कश्मीर में जब से आतंकवादियों ने अपने गुट में नए लोगों को शामिल किया है, मौतों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि कितने आतंकवादी मारे गए। सेना और भारतीय प्रशासन हत्या नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाएगा तो ये भी करना पड़ेगा।
इतना ही नही जनरल रावत ने कहा कि सीरिया और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के सुरक्षा बलों की तुलना में भारतीय सेनाएं उतनी क्रूर नहीं हैं। सीरिया और पाकिस्तान को देखिए। वे इस तरह की परिस्थितियों में टैंक और हवाई हमले का उपयोग करते हैं। लेकिन हमारे सैनिक बड़ी ही सावधानी बरतते हुए किसी भी नागरिक को नुकसान पहुंचाए बिना इस तरह की समस्याओं से निपटने का सर्वोत्तम प्रयास करते हैं। मुझे पता है कि युवा गुस्से में हैं। लेकिन सुरक्षा बलों पर हमला करना, हमारे ऊपर पत्थर फेंकना इसका हल नहीं है।
साथ ही आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन पर भी सेना प्रमुख ने सवाल उठाया। जनरल रावत ने कहा कि यदि लोग नहीं चाहते हैं कि आतंकवादियों पर कार्रवाई की जाए उन्हें मार डाला जाए, तो उन्हें उनसे आत्मसमर्पण करने का आग्रह करना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि लोग वास्तव में पत्थरबाजी का इस्तेमाल करने के लिए सैन्य कार्रवाई को भड़काते हैं।