नई दिल्ली। बैंको में हुए घोटालों पर सरकार ने अब बेहद सख़्त रवैया अपनाना शुरू कर दिया है। जिसके तहत वित्त मंत्रालय ने आज कड़ा कदम उठाते हुए इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल को बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक उषा अनंतसुब्रमण्यम के सभी अधिकार वापस लिए जाने के निर्देश दिए। यह कदम पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) में 2 अरब डॉलर के नीरव मोदी घोटाले की जांच के बीच उठाया गया है। दरअसल अनंतसुब्रमण्यम पी.एन.बी. की प्रमुख रह चुकी हैं।
इस सिलसिले में आज जानकारी देते हुए वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि पी.एन.बी. के निदेशक मंडल को भी बैंक के 2 कार्यकारी निदेशकों के सभी अधिकार वापस लेने को कहा गया है। यह घोषणा सी.बी.आई. द्वारा देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले में पहला आरोपपत्र दाखिल किए जाने के कुछ घंटे बाद की गई है।
बताया जाता है कि आरोप-पत्र में इस घोटाले में पी.एन.बी. की पूर्व प्रमुख अनंतसुब्रमण्यम की कथित भूमिका का उल्लेख किया गया है। अभी अनंतसुब्रमण्यम इलाहाबाद बैंक की सीईओ और प्रबंध निदेशक हैं। अनंतसुब्रमण्यम 2015 से 2017 के दौरान पी.एन.बी. की एमडी व सीईओ थी। सी.बी.आई. ने हाल में इस मामले में उनसे पूछताछ की थी।
इसके साथ ही सी.बी.आई. के आरोपपत्र में पी.एन.बी. के कार्यकारी निदेशकों ब्रह्मजी राव और संजीव शरण तथा महाप्रबंधक (अंतर्राष्ट्रीय परिचालन) निहाल अहद का भी नाम है। कुमार ने बताया कि मंत्रालय ने करीब 10 दिन पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा था। उन्होंने बताया कि पी.एन.बी. के निदेशक मंडल की बैठक चल रही है और मंत्रालय को उसके प्रस्ताव का इंतजार है।