मुंबई। कर्नाटक मामले पर अब भाजपा को उसकी पूर्व सहयोगी शिव सेना ने भी आड़े हाथें लेते हुए अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शिवसेना ने भाजपा पर शासन हासिल करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाने का आरोप लगाते हुए आज सवाल उठाया कि गोवा , मणिपुर और कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए अलग – अलग नियमों का सहारा क्यों लिया गया?
गौरतलब है कि शिवसेना के मुखपत्र ‘ सामना ’ में प्रकाशित संपादकीय में दावा किया गया है कि एक बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘ अनजाने ’ में येदियुरप्पा को ‘ सबसे भ्रष्ट ’ बता दिया था , जो सच ही है। उसमें कहा गया है कि जो बात उनके दिल में थी , वही मुंह से निकल गई। शिवसेना ने कहा कि भाजपा उसी येदियुरप्पा को फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर बैठाने की बेशर्मी कर रही है।
भाजपा से नाराज चल रही शिवसेना शाह की उस गलती की ओर इशारा कर रही थी , जिसमें एक मार्च के दौरान उन्होंने येदियुरप्पा की अगुवाई वाली पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार को भ्रष्टाचार के मामले में नंबर एक बता दिया था। शिवसेना ने कहा है , ‘‘ कर्नाटक में येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता मिला। इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। यह सब कानून और संविधान के अनुसार नहीं हुआ बल्कि राजनीतिक नियमानुसार हुआ।
इतना ही नही बल्कि ’’ संपादकीय में कहा गया है , ‘‘ राज्यपाल ( कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ) भाजपा के विनम्र सेवक हैं। वह 14 वर्ष तक गुजरात सरकार में मंत्री रहे। वह मोदी के कारण ही कर्नाटक के राज्यपाल पद पर आसीन हैं। इसलिए उन्होंने भाजपा को सरकार बनाने के लिए निमंत्रित किया जो ठीक है। ’’ ‘
इसके अलावा प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि अगर राज्यपाल ने कांग्रेस – जदएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया होता, तो आश्चर्य होता। शिवसेना ने दावा किया , ‘‘ राज्यपाल भाजपा के विचारधारा वाले हैं , इसलिए हमें स्वीकार करना होगा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और नियमों के अनुसार फैसले किए हैं।
साथ ही उसने कहा है , ‘‘ गोवा और मणिपुर में एक कानून और कर्नाटक में दूसरा कानून दिखाई दिया। नियम और कानून दूसरों के लिए है और अपने मामले में अनैतिक तरीके से शासन हासिल किया जा रहा है और उन्हें बरकरार रखा जा रहा है। ’’