नई दिल्ली। देश में जारी शिक्षा पद्वति में विसंगति पर आज सर्वोच्च अदालत ने केन्द्र सरकार से एक बेहद अहम और काबिले तारीफ सवाल पूछा है । दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है कि क्या देश में ‘वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड’ लागू हो सकता है, इस याचिका में कहा गया है कि पूरे देश में एक ही पाठ्यक्रम होना चाहिए।
गौरतलब है कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की एक याचिका सुनने के लिए सहमति देते हुए न्यायमूर्ति ए. के गोयल और यू यू ललित ने केंद्र को इस तरह के सिस्टम को पेश करने की व्यवहार्यता पर अपनी प्रतिक्रिया मांगने के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत ने सरकार को प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
हालांकि शुरुआत में, बेंच को एक बोर्ड के पक्ष में निर्णय लेने के मामले में संदेह था जिसके लिए बेंच अनिच्छुक था। ” पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ”सुनने में यह बहुत ही आकर्षक लग रहा है लेकिन इसे लागू करना आसान बात नहीं है। हमें आदेश पारित नहीं करना चाहिए जिसे लागू नहीं किया जा सका। आपको सरकार से संपर्क करना चाहिए।
लेकिन वहीं याचिकाकर्ता ने जोर देते हुए कहा कि अदालत ने कम से कम सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है। इसने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संदीप सेठी से सभी स्कूलों के लिए एक शिक्षा बोर्ड को कार्यान्वित करने और हासिल करने के तरीके में अदालत की सहायता करने के लिए भी कहा।
जैसा कि माना जा रहा है कि “मूल्य आधारित सामान्य शिक्षा प्रणाली जिसमें एक सामान्य पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए यह केवल सामाजिक आर्थिक समानता के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि मानवीय एकता और राष्ट्रीय एकीकरण की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है।
ज्ञात हो कि कई देशों ने इसे पहले से ही लागू कर दिया है। भारत में भी, न केवल पाठ्यक्रम यहां तक कि सभी स्कूलों और नवोदय विद्यालयों में भी यूनिफार्म भी एक होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा, तमिलनाडु ने इसे पहले से ही लागू कर दिया है। इतना जरूर है कि अगर ऐसा संभव हो सका तो इसमें कोई दो राय नही कि देश का सूरत-ए-हाल बदल जायेगा।