लखनऊ। बहुजन समाज की मुखिया मायावती ने केन्द्र की मोदी सरकार के दलित प्रेम को महज दिखावा बताते हुए कहा कि उनकी सरकार के उदासीन रवैये के चलते अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के सरकारी कर्मचारियों का ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ विधेयक लोकसभा में अटका हुआ है।
गौरतलब है कि मायावती ने जारी एक बयान में कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को‘‘प्रोन्नति में आरक्षण’ को लागू करने मे जो जटिलता आयी है उस कारण यह कानूनी व्यवस्था देश भर मे कई सालों से निष्क्रिय बनी हुई है जिसके समाधान के लिये संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा से काफी संघर्ष के बाद पारित कराया गया था जो पिछले चार वर्षों से लोकसभा मे लिबत पड़ा हुआ है।
इतना ही नही उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस व अब नरेन्द्र मोदी सरकार ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ के मुद्दे पर अपना जातिवादी रवैया त्यागने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि इस संबंध में संवैधानिक संशोधन विधेयक के संबंध में सर्वसम्मति होने के बावजूद लोकसभा से इसे पारित नहीं कराया जा रहा है तथा यह मामला ‘लोकपाल’ की नियुक्ति की तरह वर्षो से लम्बित पड़ा हुआ है।
भाजपा सरकारों पर कांग्रेस की तरह ही सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने वाली दिखावटी सहानुभूति का आरोप लगाते हुय बसपा अध्यक्ष ने कहा कि एस.सी./एस.टी. व ओ.बी.सी. वर्गो के कल्याण के लिये ठोस काम करने के मामले में इनकी सरकारों का रिकार्ड का जीरो रहा है।
उन्होंने कहा कि इनकी नीति व कार्यप्रणाली मुंह मे राम बगल मे छुरी की तरह से है। यही कारण है कि ये लोग बाबा साहेब का नाम तो वोटों के लालच मे लेते हैं लेकिन उनके करोड़ों अनुयाइयों को जातिवादी द्वेष हिंसा और जुल्म-ज्यादती का शिकार बनाने में जरा भी नहीं हिचकते हैं। इनके संवैधानिक अधिकारों को भी धीरे-धीरे करके छीनने का प्रयास किया जा रहा है व इनकी नौकरियों पर तो एक प्रकार से प्रतिबंध ही लगा हुआ है।
साथ ही उन्होंने साफ कहा कि उच्चतम न्यायालय का ताजा निर्णय आ जाने के बाद केन्द्र व राज्य सरकारों को अपने पिछले तमाम निर्णयों की समीक्षा करनी चाहिए तथा एस.सी./एस.टी. वर्गों के सरकारी कर्मचारियों पर हुये अन्यायों को दुरुस्त करने के साथ उन्हे अभियान चलाकर प्रोन्नति मे आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का लाभ देना चाहिए।