नई दिल्ली। बेहद ही हद है और एक तरह से ये बहुत बड़ी भद्द है हमारी सरकार के उस फैसले की जो उसने इन्सानियत और एक बेहद पाक महीने रमजान के नाते लिया था। इतना ही नही सरकार और हमारी फौजों ने बखूबी उन तमाम नापाक आतंकी और उनके समर्थकों समेत पड़ोसी मुल्क नापाक पाक को भी इन्सानियत और एक ऐसे मुकद्दस महीने की कद्र करके दिखा दिया। लेकिन वहीं जब उन सबने अपनी जात और गिरी हुई औकात को बखूबी जता दिया। तो अब आगे फिर उन सबका अंजाम जल्द ही सामने आने वाला है जिन्होंने इन्सानियत और ऐसे मुकद्दस महीने में भी अपनी नापाक हरकतें जारी रखीं हैं।
गौरतलब है कि रमजान के महीने में ऑपरेशन बंद रखने के बाद सुरक्षा एजेंसियां दोहरी ताकत के साथ आतंकियों के सफाए में जुट जाएंगी। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक महीने तक आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन बंद रहने के दौरान घाटी के सुरक्षा हालात की जानकारी दी। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री को बता दिया कि सुरक्षा एजेंसियां नए सिरे से ऑपरेशन ऑलआउट शुरू करना चाहती हैं। प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श के बाद हुए फैसले के बारे में राजनाथ सिंह रविवार को एलान कर सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री को केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि रमजान के महीने में ऑपरेशन बंद करने से किस तरह घाटी के आम लोगों में सही संदेश गया है। इससे घाटी के लोगों को अहसास हुआ है कि सरकार सचमुच घाटी में शांति चाहती है। पिछले एक महीने में घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में आई कमी इसका सबूत है। यही नहीं पिछले हफ्ते घाटी के दौरे के दौरान लोगों में बेहद उत्साह भी देखने को मिला। लेकिन पाकिस्तान की शह पर चंद लोग घाटी में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। ईद से ऐन पहले पत्रकार और सैनिक की हत्या कर दहशतगर्दी फैलाने के आतंकियों के प्रयास ने सरकार को और भी सख्त कर दिया है।
वहीं ये भी बताया जाता है कि राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री को सुरक्षा बलों की चिंता से भी अवगत कराया। उनके अनुसार, सुरक्षा बल लंबे समय तक आतंकियों और उनके समर्थकों को इस तरह खुली छूट नहीं दे सकते। खासतौर पर अगले महीने शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा को देखते हुए यह खतरनाक हो सकता है। यही कारण है कि सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट शुरू करने के पक्ष में है। मालूम हो कि गुरुवार को राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक कर कश्मीर के हालात की समीक्षा की थी। जिसमें एनएसए, आइबी निदेशक, गृह सचिव, अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुखों के साथ-साथ गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में सभी अधिकारी आतंकियों से सख्ती से निपटने के पक्ष में थे।
दरअसल, पिछले साल जनवरी में शुरू किए गए ऑपरेशन ऑलआउट के दौरान सुरक्षा बलों ने रिकॉर्ड संख्या में आतंकियों को मार गिया था। पिछले साल 200 से अधिक आतंकी घाटी में मारे गए थे। वहीं, इस साल अभी तक लगभग 70 आतंकी मारे जा चुके हैं। ऑपरेशन ऑलआउट की सफलता को देखते हुए सुरक्षा बल रमजान के महीने में भी इसे बंद करने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन अंततः उन्हें सरकार के फैसले को मानना पड़ा था।