लखनऊ। वैसे तो शहीदों को शहादत के वक्त तमाम बड़ी-बड़ी उपमायें दी जाती हैं साथ ही उनके परिवारीजनों से बड़े-बड़े वादे और दावे किये जाते हैं लेकिन जब नौबत उनको धरातल पर लाने की आती है तो शहीद के परिवारीजनों को तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अब एक बेहद ही अहम और काबिले तारीफ फैसला किया है। जिससे अब तमाम शहीदों के परिवारीजनों को न सिर्फ राहत मिल सकेगी बल्कि तमाम सहुलियत भी मिलेगी।
गौरतलब है कि अब शहीदों के आश्रितों को नौकरी पाने के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। दरअसल जैसा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव के साथ पिछले महीने ही सिविल मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। जिसके तहत शासकीय सेवा में शहीदों के आश्रितों को लेने के लिए प्रदेश सरकार का यह फैसला तीनों सेनाओं और अर्द्धसैनिक बलों पर लागू होगा।
बताया जाता है कि अब प्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार, एक अप्रैल 2017 के बाद शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों यह सुविधा मिलेगी। इस संबंध में प्रमुख सचिव मनोज सिंह की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में कार्यकारी आदेश है।
इसके साथ ही यह भी साफ तय कर दिया गया है कि उप्र लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पदों और सेवाओं पर यह आदेश लागू नहीं होगा। सरकार के इस अहम फैसले का भूतपूर्व सैनिक संगठनों ने स्वागत किया है। वहीं इस पर मध्य यूपी सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल प्रवेश पुरी ने कहा कि इस मुद्दे पर सैन्य प्रशासन की लंबे समय से राज्य सरकार के साथ वार्ता हो रही थी। आदेश जारी होने से सैनिकों व उनके आश्रितों की मांग पूरी हो गई है।
वहीं शहीद आश्रित के पात्र परिवारीजन को भी भली भांति परिभाषित किया गया है। जिसके तहत शहीदों के आश्रितों को वरीयता क्रम में पहले स्तर पर पत्नी व पति (जैसी स्थिति हो) इसके बाद पुत्रवधू, विधवा पुत्रवधू, अविवाहित पुत्रियां और फिर कानून संगत दत्तक पुत्र व दत्तक पुत्रियां और अंत में पिता या माता। शहीद सैनिक के अविवाहित होने की स्थिति में वरीयता क्रम में पिता, माता, अविवाहित भाई, अविवाहित बहन उसके बाद विवाहित भाई शामिल हो सकेगा।
इतना ही नही प्रदेश सकार ने इसके साथ ही 20 लाख रुपये तक की संपत्ति खरीद पर प्रदेश के पूर्व सैनिकों को स्टांप शुल्क नहीं देना होगा। सिविल-मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की पिछले दिनों हुई बैठक के बाद राज्य सराकर की ओर से लिए गए इस फैसले में शहीद सैनिकों के आश्रितों को भी शामिल किया गया है।