लखनऊ : निर्माणाधीन आलमबाग बस अड्डा परिसर में पीछे चल रहे निर्माण कार्य के दौरान अचानक शटरिंग भरभरा कर नीचे गिर गई। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त लगभग 40 मजदूर काम में लगे हुए थे। गनीमत रही कि शटरिंग की चपेट में सिर्फ 4 मजदूर ही आये। मलबे की चपेट में आये 4 मजदूर मामूली रूप से घायल हुए है जिनका प्राथमिक उपचार के बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। अनुमान के मुताबिक एक करोड़ रूपये से भी ज्यादा नुकसान की आशंका जताई जा रही है। घटना में हैरानी वाली बात यह रही कि सीओ आलमबाग को छोड़कर किसी भी बड़े अधिकारी ने मौके पर जाने में जहमत तक नहीं उठाई।
लखनऊ के कोतवाली आलमबाग इलाके की है। यहाँ 2007 बसपा शासन के दौरान आलमबाग बस अड्डे का निर्माण हुआ। 2012 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो पूर्व की सरकार में बनाये गए बस अड्डे को तोड़ने का आदेश हुआ है और इसकी जगह विशालकाय बस अड्डा बनना शुरू हो गया। योगी सरकार में भी इसका कार्य लगातार जारी है। अभी इसका आधा हिस्सा भी बनकर पूरी तरह से तैयार भी नहीं हुआ है कि एक बड़ी घटना ने इसके निर्माण पर सवाल उठा दिया। आलमबाग बस अड्डा परिसर के पिछले हिस्से में लगभग 4 स्कायर फीटके हिस्से में ग्राउंड फ्लोर का काम हो चुका था और पहली मंजिल बनने की तैयारी हो रही थी। शटरिंग का काम भी लगभग पूरा हो चुका था और मसाला भी पड़ चुका था तभी अचानक पूरी शटरिंग भरभरा कर नीचे गिर गई।
जिस वक्त यह घटना हुई उस समय वहा पर 35 से 40 मजदूर काम में लगे थे लेकिन गनीमत रही कि घटना के वक्त सभी मजूदर इधर – उधर थे सिर्फ चार मजदूर ही मलबे की चपेट में आकर मामूली रूप से घायल हुए है। घायलों में मुकेश, किशन, राजकुमार और बाबू का प्राथमिक उपचार के बाद फ़ौरन हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी गई। काम सरकारी थी लेकिन हैरानी वाली बात यह रही कि प्रोजेक्ट से जुड़ा कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।
पुलिस की बात की जाये तो सीओ आलमबाग ही अपने दल बल के साथ मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू कराया। मामले में एक करोड़ रूपये से भी ज्यादा नुकसान की अशांका जताई गई है। हैरानी वाली एक बात यह भी रही कि सरकारी प्रोजेक्ट में छोटे – छोटे बच्चे भी काम में लगे हुए थे लेकिन किसी की नज़र इनपर नहीं पड़ी। या नज़रअंदाज कर इन बच्चो से यहाँ काम कराया जा रहा।