लखनऊ। प्रदेश की राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय में कल पीजी काउंसलिंग के दौरान हुऐ बवाल और मारपीट को हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया। लखनऊ बेंच के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी परिसर में टीचर्स पर जो हमला हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह के मामलों में पुलिस को अलर्ट रहना चाहिए। नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि शुक्रवार को यूपी के डीजीपी, लखनऊ के एसएसपी, यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार कोर्ट में हाजिर होकर जवाब दें।
गौरतलब है कि कल लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों को बुधवार को परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। उन पर पथराव भी हुआ जिससी 12 से ज्यादा शिक्षक चोटिल हो गए। उपद्रवियों ने कुलपति प्रो. एसपी सिंह को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी बदसलूकी की गई। घटना के विरोध में विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है।
इतना ही नही आज के वीसी तथा चीफ प्रॉक्टर ने डीजीपी ओ पी सिंह से मुलाकात कर उन्हें कल के वाकिये और उस दौरान पुलिस के रवैये से अवगत कराया साथ ही उस दौरान पुलिस के रवैये से बखूबी अवगत कराया। हालांकि जिसके चलते कई पुलिसकर्मियों पर गाज भी गिरी साथ ही एक आरोपी को पकड़े जाने और बाकियों को भी जल्द पकड़े जाने का आवासन दिया गया।
ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय परिसर में हुई इस घटना के विरोध में शिक्षक एकजुट हो गए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) ने पीजी काउंसलिंग और मूल्यांकन कार्य को पूरी तरह से बंद कर दिया है। संगठन के महामंत्री डॉ. दुर्गेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आज विश्वविद्यालय स्टाफ क्लब में लूटा की आम सभा की एक आपात बैठक का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आगे के फैसले लिए जाएंगे।
जब कि वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) भी इनके समर्थन में उतर आया है। संगठन अध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों और कुलपति की सुरक्षा की मांग उठाई है।
इतना ही नही लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों के साथ मारपीट के विरोध में शुक्रवार से डिग्री कॉलेज भी बंद रहेंगे। लविवि सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज पाणडेय ने इसकी घोषणा की। शिक्षकों की स्टाफ कॉलेज में हुई आपात बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है।