लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में हाल ही में हुई अराजकता तथा इस दौरान की गई शिक्षकों से मारपीट के मामले में आज लखनऊ पुलिस को जमकर फटकार लगाई।
गौरतलब है कि पीठ ने विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामले में पुलिस महानिदेशक, लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार तथा प्रॉक्टर को तलब करने के बाद उभरे तथ्यों पर यह तल्ख टिप्पणियां कीं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश सिंह की पीठ ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई घटना की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई नहीं करने के लिए जिला पुलिस को खरीखोटी सुनाई और इस मामले में अपने द्वारा की गई कार्रवाई के सम्बन्ध में हलफनामा दाखिल करने को कहा।
इतना ही नही इसके साथ ही अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन से सुझाव मांगे हैं कि आखिर विश्वविद्यालय परिसर में गुंडागर्दी को कैसे रोका जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। उच्च न्यायालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय में गत चार जुलाई को हुई हिंसा में कई प्रोफेसर के साथ मारपीट किए जाने की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए कल कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर के अलावा उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तलब किया था। उसके बाद प्रकरण की जांच लखनऊ के पुलिस महानिरीक्षक सुजीत पाण्डेय को सौंप दी गई थी।
ज्ञात हो कि डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्राधिकारी अनुराग सिंह का तबादला कर दिया था जबकि एलयू चौकी प्रभारी पंकज मिश्र को निलंबित कर दिया। प्रवेश से जुड़ी मांगों को लेकर परिसर में धरना दे रहे कुछ प्रदर्शनकारियों ने शिक्षकों पर अचानक धावा बोल दिया था, जिसमें कम से कम 12 शिक्षक घायल हो गए थे। हिंसा के बाद विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा उससे सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों को भी अगले आदेश तक बंद किया गया है।