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हथियारों का शौक और गैंगस्टर बनने की चाह, कर बैठी प्रेमप्रकाश उर्फ मुन्ना की जिन्दगी तबाह

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डेस्क। आतंक का पर्याय रहा मुन्ना बजरंगी भले ही आज अपने किये की सजा पा चुका हो क्योंकि इस जरायम की दुनिया में होता तो है बड़ा नाम पर हर किसी का तकरीबन ऐसा ही होता है अंजाम। लेकिन वहीं अगर मुना की कहानी पर गौर करें तो एक बात सामने आती है कि हर माता-पिता की तरह उसके भी माता-पिता ने उसके लिए क्या सपना संजोया था और मुन्ना किस राह पर चल निकला जहां उसकी अपनी असली पहचान के बजाय मुन्ना बजरंगी ही पहचान बन के रह गई।

गौरतलब है कि मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे। लेकिन, प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और किशोर अवस्था तक आते-आते दुनिया की चकाचौंध के चलते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे।

जैसा कि बताया जाता है कि किशोरावस्था से ही मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। बस ये ही मुन्ना का जरायम की दुनिया का पहला कदम था उसके बाद फिर मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा और वह अपराध के दलदल में धंसता चला गया।

जानकारी के मुताबिक जब मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। उसके मुंह खून लग चुका था, इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया।

इसके बाद पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल-फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। फिर क्या था मुन्ना ने कृष्णानन्द रॉय को ठिकाने लगाकर जहां मुख्तार की राह आसन कर दी और अपनी राह दुश्वार कर ली। क्योंकि इस हत्या के बाद से ही मुन्ना पर शिकंजा कसना शुरू हो गया।

जिसके चलते भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप थे। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।

वहीं जब यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था। इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था।

इतना ही नही बल्कि मुन्ना ने एक बार लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था जिसके कारण उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे। यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे। भाजपा से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया।

मुन्ना बजरंगी के खिलाफ उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं, लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था, इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी।

बेहद ही सुनियोजित तरीके से मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा है। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी का दावा था कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं।

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