लखनऊ। प्रदेश के जनपद बरेली के प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत के परिवार की बहू निदा खान ने हलाला और बाल विवाह के खिलाफ मुहिम के तहत अब कहा कि क्योंकि ज्यादातर फैसले एकतरफा और औरतों के खिलाफ ऐसे फतवों को तुरंत बंद करने की मांग हैं। वहीं इसी जनपद में एक औरत के साथ तलाक और हलाला का बेहद ही घिनौना मामला सामने आया है।
दरअसल आज निदा खान ने फतवों पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौलवी हमेशा मर्दों के पक्ष में ही फतवा देते हैं। महिलाओं के हक की अनदेखी की जाती है। इसलिए एक महिला को काजी की भूमिका निभानी चाहिए। इससे ही शरीयत की आड़ में महिलाओं के साथ ज्यादती रुक सकेगी।
जबकि वहीं जनपद बरेली में ही तीन तलाक और हलाला का चौंकाने वाला एक कथित मामला सामने आया है। एक शख्स पर उसकी बीवी ने पहले तलाक देकर घर से निकालने और फिर से साथ रखने के लिए अपने ही ससुर के साथ ‘हलाला’ कराने और दोबारा तलाक देने के बाद अब देवर से हलाला कराने की जिद करने का आरोप लगाया है।
जानकारी के मुताबिक शहर के बानखाना निवासी शबीना ने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उसकी शादी गढ़ी-चैकी के रहने वाले वसीम से वर्ष 2009 में हुई थी। उसका आरोप है कि 2 साल बाद शौहर ने उसे तलाक देकर घर से निकाल दिया। बाद में उसी साल वसीम ने अपने पिता के साथ उसका हलाला कराया। उसके बाद वह फिर वसीम के साथ रहने लगी, मगर लड़ाई-झगड़े खत्म नहीं हुए।
शबीना का आरोप है कि वर्ष 2017 में उसके शौहर ने उसे फिर तलाक दे दिया। अब वह अपने भाई के साथ हलाला करने की शर्त रख रहा है। शबीना ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया है और अब वह तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह पर सख्त कानून चाहती हैं ताकि औरतें इस जुल्म से बच सकें। अपने ही ससुर के साथ हलाला करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर शबीना ने कहा कि उनके पास इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं था। वह तो बस अपना उजड़ा घर बसाना चाहती थी।