नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार द्वारा ऑनलाइन डेटा पर निगरानी करने के लिए सोशल मीडिया हब के गठन पर सख्त रूख अपनाते हुए इस संबंध में उससे दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि ऑनलाइन डेटा पर निगरानी करने के लिए सोशल मीडिया हब के गठन के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि अगर वाकई सरकार नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करना चाहती है तो एक तरह से ये निगरानी राज बनाने जैसा होगा इसलिए सरकार से इस संबंध में दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
दरअसल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया है। साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से सहयोग मांगा। पीठ ने कहा, ”सरकार नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करना चाहती है और यह निगरानी राज बनाने जैसा होगा।
वहीं इस मामले में मोइत्रा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि सरकार ने आवेदन मंगाए हैं और निविदा 20 अगस्त को खुलेगी। सिंघवी ने कहा, ”वे सोशल मीडिया हब के जरिए सोशल मीडिया की विषयवस्तु की निगरानी करना चाहते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वह 20 अगस्त को टेंडर खुलने के पहले इस मामले को तीन अगस्त के लिए सूचिबद्ध कर रही है और अटॉर्नी जनरल अथवा सरकार का कोई भी विधिक अधिकारी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा।
ज्ञात हो कि इससे पहले 18 जून को शीर्ष अदालत ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया था जिसमें सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब बनाने के केन्द्र सरकार के कदम पर रोक लगाने की मांग की गई थी। यह डिजिटल तथा सोशल मीडिया की विषयवस्तु को एकत्र कर उसका विश्लेषण करेगा।