Thursday , April 25 2024
Breaking News

वादाखिलाफी: जब होने लगा पानी सिर से ऊपर, तब जाकर डीएम पहुंचे मो. शाहिद के घर

Share this

डेस्क्।  देश की ये ही विडम्बना है कि यहां अक्सर हुक्मरान और उनके अफसरान किसी भी मौके पर तमाम वादे तो कर लेते हैं और फिर जल्द ही भूल जाते हैं जबकि इस तरह की बातें उन दोनों के लिए कभी न कभी और कहीं न कहीं मुसीबत पैदा कर ही देती हैं। साथ ही किरकिरी का सबब भी बनती हैं। ऐसा ही कुछ हॉकी में ड्रिबलिंग के मास्टर रहे ओलंपियन मो. शाहिद के साथ भी हुआ। जिससे आहत होकर उनकी  पत्नी परवीन शाहिद ने जब ये कहा कि 19 जुलाई तक मांगों को लेकर ठोस आश्वसान नहीं मिलता है तो वह 21 जुलाई को पीएमओ ऑफिस में पदक और पुरस्कार लौटा देंगी।

गौरतलब है कि मंगलवार को मो. शाहिद के पदक और पुरस्कार सरकार को वापस करने की खबर जैसे ही लगी, खेल संगठनों और प्रशासनिक खेमे में खलबली मच गई। सुबह करीब 11 बजे जिलाधिकारी खजुरी स्थित उनके घर पहुंचे और परवीन शाहिद से बात की। उनकी एक-एक बात सुनी और मांगों से संबंधित रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही।

वहीं इस बाबत तमाम उनके चाहने वालों और साथियों का मानना है कि हद की बात तो ये है कि मामला प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा है बावजूद इसके ऐसी वादा खिलाफी बेहद ही गंभीर है। सरकार और अफसरों को इस पर जल्द से जल्द कारवाई कर किये गये वादों को पूरा करना चाहिए। ऐसे महान खिलाड़ी के साथ ऐसी अनदेखी काबिले-बर्दाश्त नही है।

ज्ञात हो कि परवीन ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि मो. शाहिद के इंतकाल के बाद लगातार उपेक्षा की गई है। सरकार, हॉकी के एसोसिएशन, खेल विभाग की तरफ से मो. शाहिद के नाम पर टूर्नामेंट के लिए कोई मदद नहीं की गई। बनारस में नेशनल स्तर का टूर्नामेंट कराने, डीरेका स्टेडियम का नामकरण मो. शाहिद के नाम पर होने, यहां एकेडमी खोलने से लेकर तमाम वादे किये गये लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

उन्होंने कहा था कि इसी उपेक्षात्मक रवैये के कारण मो. शाहिद के इंतकाल के बाद 14 अप्रैल, 2017 में प्रदेश स्तरीय टूर्नामेंट जैसे-तैसे हो पाया लेकिन इसके अगले साल 2018 में नहीं करा पाई। देश के लिए ओलंपिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक लाने वाले मो. शाहिद की लगातार उपेक्षा से वह व्यथित हुईं और ओलंपिक मेडल, पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड वापस करने का फैसला किया। ये सारी बातें परवीन ने मंगलवार को जिलाधिकारी को भी बताईं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि डीरेका में एक छोटे पद पर नौकरी और व्यस्तता के कारण निशानेबाजी में खिलाड़ी बेटा अभ्यास नहीं कर पा रहा है। जिलाधिकारी ने उनकी हर एक बात सुनीं और मांगों को शासन तक पहुंचाने का वादा किया। स्थानीय स्तर पर कैंटोनमेंट स्थित राइफल क्लब के शूटिंग रेंज की हालत भी सुधरवाने की बात कही। बताया कि डीरेका स्टेडियम के नामकरण के लिए महाप्रबंधक रश्मि गोयल से बात हुई। किन परिस्थितियों में मो. शाहिद के नाम का बोर्ड स्टेडियम पर नहीं लगा, इसे दिखवा रहे हैं।

Share this
Translate »