नई दिल्ली। मानसून सत्र के दौरान मोदी सरकार के खिलाफ वैसे तो विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाना लगभग तय माना जा रहा था ठीक उसी के अनुरूप आज विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ न सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया बल्कि उसको लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन द्वारा मंजूरी भी दे दी गई है।
हालांकि इस बाबत महाजन ने कहा कि उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग करने वाले कम से कम छह सांसदों से नोटिस प्राप्त हुए हैं और वह इसे सदन में विचार हेतु रखने के लिए कर्तव्य बाध्य हैं। अब इस अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में शुक्रवार को और राज्यसभा में सोमवार को चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के केसिनेनी श्रीनिवास पहले सांसद थे, जिन्होंने अविश्वास नोटिस दिया और सदस्यों से पूछा कि इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। महाजन ने श्रीनिवास प्रस्ताव पेश करने को कहा। प्रस्ताव को कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों समेत 50 से ज्यादा सदस्यों का समर्थन है।
जिस पर प्रस्ताव के समर्थकों की गणना करने के बाद सुमित्रा महाजन ने कहा कि नोटिस को स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दिन और समय चिन्हित करने के लिए 10 दिन का समय है। इसके बाद इस पर चर्चा और वोटिंग होगी।
वहीं इस पर संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है और उन्होंने महाजन से कहा कि वह इसे संसद पटल पर रख सकती हैं।
उन्होंने कहा, “चर्चा के बाद सभी चीजें साफ हो जाएंगी। मैं सदन में यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश के लोगों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में पूर्ण विश्वास है।” कांग्रेस नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि जिन अन्य सदस्यों ने अपने-अपने नोटिस दाखिल किए हैं उन्हें पढ़ने की इजाजत क्यों नहीं दी गई।
जबकि लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियमों के अनुरूप पहले दाखिल किए गए नोटिस को पटल पर रखने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि उन्होंने उन सदस्यों के नाम पढ़ दिए हैं। इनमें कांग्रेस के खड़गे, के.सी वेणुगोपाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारीक अनवर, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन और तेदेपा के थोटा नरसिम्हन शामिल हैं।