भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए संसद में मंगलवार को भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी गई है. इस बिल के तहत अब रिश्वत देने वाला भी रिश्वत लेने वाले के समान दोषी होगा. इसी के साथ रिश्वत देने वाले दोषियों को अब सात साल की सजा होगी.
क्या है नया कानून
विधेयक के मुताबिक रिश्वत देने वाले को सात साल जेल या जुर्माना या फिर दोनों सजा देने का प्रावधान किया गया है. विधेयक में रिश्वत लेने वाले के लिए कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा सात साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को दो साल के अंदर ही निपटाना होगा.
लोकसभा में इस बिल को मंगलवार को पारित किया गया जबकि राज्यसभा में ये पिछले हफ्ते ही पारित हो गया था. इस बिल में 1988 के मूल कानून को संशोधित करने का प्रावधान है.
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के शासन में आने के बाद जनता का विश्वास भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों पर बढ़ा है. विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सिंह ने कहा कि राज्यसभा में इसे 43 संशोधनों के साथ पारित किया गया और इसमें रिश्वत देने वाले को भी परिभाषित किया गया है.
उन्होंने कहा कि जो रिश्वत देगा, उसे भी रिश्वत लेने वाले के समान ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए.