नई दिल्ली। लाभ के पद मामले में दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित करार देते हुए अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। अगर राष्ट्रपति चुनाव आयोग के फैसले पर मुहर लगा देते हैं तो केजरीवाल सरकार केजरीवाल सरकार को तमाम दिक्कतें हो सकती हैं।
सबसे अहम और गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा की केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार है और राष्ट्रपति भी भाजपा द्वारा ही चुना गया है। ऐसे में अब आम आदमी पार्टी के पास बचने के विकल्प काफी कम बचें हैं। साथ ही विपक्षियों को आप पार्टी पर हमला करने का बड़ा हथियार मिल जाएगा। विपक्षी यह आरोप लगा सकता है कि पार्टी ने सत्ता का उपयोग अपने फायदे के लिए किया और जिन विधायकों को मंत्री नहीं बना सके उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए गैर कानूनी तरीका अपनाया।
अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की छवि को इस फैसले से बड़ा नुकसान हो सकता है। विधायकों के अयोग्य घोषित हो जाने के बाद केजरीवाल या पार्टी के अंदर पनप रहे भ्रष्टाचार पर आवाज बुलंद करने वाले तमाम लोगों के दावों को बल मिल सकता है। जिसके तहत आप के सदस्य रहे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण समेत कुमार विश्वास और पार्टी से निकाले गए कपिल मिश्रा भी पार्टी के अंदर के भ्रष्टाचार पर अपनी आवाज और बुलंद कर सकते हैं।