नई दिल्ली। देश के तमाम विपक्षी दलों में भारतीय जनता पार्टी तथा खासकर नरेन्द्र मोदी को लेकर इतना हौव्वा पैदा हो गया है कि आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में वो मोदी और भाजपा को हराने के लिए किसी भी कीमत पर एकजुट होने को मजबूर हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नौबत अब ये आ रही है कि विपक्षी गठबंधन बिना प्रधानमंत्री पद के दावेदार के चेहरे के मैदान में उतरने को तैयार हो गया है।
अगर सूत्रों की मानें तो उसके अनुसार कांग्रेस ने आज कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने के लिए विपक्षी दलों के बीच व्यापक सहमित बन गई है और प्रधानमंत्री पद के बारे में फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद होगा।
इतना ही नही पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए सपा, बसपा एवं अन्य भाजपा विरोधी दलों के बीच भी ‘रणनीतिक समझ बन ही गई है। जिसके तहत उनका मानना है कि अगर उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में ‘सही से गठबंधन हो गया तो भाजपा सत्ता में नहीं लौटने वाली है।
इसके साथ ही सूत्रों का मानना है कि पार्टी दो अहम मसौदों के तहत काम कर रही है जिसके मुताबिक पहली प्राथमिकता ये है कि कैसे भी सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाकर भाजपा और नरेंद्र मोदी को हराकर सत्ता में आने से रोका जाये। बाकी रही बात प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की तो उस पर चुनाव के परिणामों के बाद ही कुछ भी तय किया जायेगा।
क्योंकि कांग्रेस का मानना है कि प्रधानमंत्री पद को लेकर चुनाव से पहले बातचीत करना ‘विभाजनकारी होगा। तभी इस पर कोई बात नही किया जाना ही बेहतर है और फिलहाल सबके लिए अहम काम है कि कैसे भी सभी को मिलकर भाजपा और आरएसएस को हराना है।
गौरतलब है कि जहां तक कांग्रेस की उत्तर प्रदेश गठबंधन को लेकर रणनीतिक सहमति बन गई है। इसको देखते ही ऐसा माना जा रहा है कि अगर इसी प्रकार से महाराष्ट्र और बिहार में भी सही से गठबंधन हो गया तो भाजपा की सीटें अपने आप कम हो जाएंगी और और सबसे अहम बात है कि देश के सबसे बड़े और अहम सूबे उत्तर प्रदेश में ही उसकी हालत खराब हो जायेगी।