नई दिल्ली। केन्द्र सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद भी आज विवादों में घिरे मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को आज चर्चा के लिए राज्यसभा में नहीं पेश किया जा सका और फिर एक बार अगले सत्र तक के लिए टल गया। इस बाबत सभापति एम वेंकैया नायडू ने आज सदन में इसकी घोषणा की। एक दिन पहले ही केंद्रीय कैबिनेट ने बिल में संशोधनों को मंजूरी दी थी।
गौरतलब है कि आज शुक्रवार होने की वजह से उच्च सदन में लंच टाइम के बाद गैर सरकारी कामकाज शुरू हुआ। सभापति नायडू ने सदन को सूचित किया कि उनके कक्ष में विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक हुई थी जिसमें यह तय हुआ था कि आज सदन में लंच टाइम के बाद गैर कामकाज होगा। शाम पांच बजे के बाद सदन में दो सरकारी विधेयकों को चर्चा के लिए लिया जाएगा।
वहीं इसके बाद व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सदन दो स्तंभों नियम और परंपरा पर टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि सदन की परंपरा रही है कि शुक्रवार को लंच टाइम के बाद केवल गैर सरकारी कामकाज होता है। ऐसे में दो विधेयकों को लिया जाना कहां तक उचित है।
जिस पर नायडू ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि उनके कक्ष में विभिन्न दलों के नेताओं के बीच जो सहमति बनी थी उसी के आधार पर उन्होंने दो सरकारी विधेयकों पर चर्चा कराए जाने की घोषणा की है। इस पर डेरेक अपने दल के अन्य सदस्यों के साथ सदन से बाहर चले गए।
जबकि इसके बाद सपा के विशंभर प्रसाद निषाद के गैर सरकारी संकल्प पर चर्चा शुरू हुई। विशंभर ने अपने संकल्प को जब चर्चा के लिए पेश किया तब नायडू ने कहा कि वह एक बार फिर स्पष्टीकरण देना चाहते हैं। नायडू ने कहा कि आज गैर सरकारी कामकाज के बाद सदन में दो विधेयकों पर चर्चा होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक पर आज सदन में चर्चा नहीं होगी। ज्ञात हो कि आज उच्च सदन की कार्यावलि में विचार एवं पारित किए जाने वाले सरकारी विधेयकों में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक भी सूचीबद्ध था।
हालांकि इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गई है। लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक में तीन संशोधन करने को मंजूरी दी है। अगर उच्च सदन में इस विधेयक को सरकार के इन तीन संशोधनों के साथ पारित किया जाता है तो उसे फिर से लोकसभा की मंजूरी दिलवाने की आवश्यकता पड़ेगी।