मंदसौर। मासूमों के साथ रेप जैसी घिनौनी हरकत को अंजाम देने वालों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया में तेजी आने से उम्मीद जगी है कि इससे ऐसे दरिंदों में कुछ तो खौफ घर करेगा कम से कम ऐसा करने से पहले वो कुछ तो डरेगा। दरअसल आज महज एक माह नौ दिन में ही बहुचर्चित मंदसौर रेप मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों को फांसी की सजा सुना दी है।
गौरतलब है कि आठ वर्षीय बालिका के सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो एक्ट की विशेष न्यायालय ने दोनों दरिंदों आसिफ पिता जहीर खा और इरफान पिता जुल्फिकार मेव को मंगलवार को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश निशा गुप्ता ने दोनों आरोपितों को भादसं की धारा 363 में दोनों को 7 -7 साल की सजा, 10-10 हजार जुर्माना, 366 में 10-10 साल की सजा व 10-10 हजार का जुर्माना, धारा 307 में आजीवन कारावास और 376(d) बी में दोनों आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई है। बाद में दोनों दोषियों को जेल ले जाया गया। वहां से इंदौर या उज्जैन सेंट्रल जेल ले जाया जाएगा।
वहीं इस मामले से बेहद आक्रोशित लोगों ने मासूम के साथ दुष्कर्म की वारदात करने वाले दोषी की मंगलवार को कोर्ट में पिटाई हो गई। दोषी आसिफ को जब पुलिस जीप में से निकालकर कोर्ट में ले जा रही थी, इसी दौरान हिंदू महासभा के नेता विनय दुबेला ने उसे एक तमाचा मार दिया। इस पर तुरंत पुलिस ने उसे पीछे धकेला और आसिफ को चारों ओर से घेर लिया। घटना के बाद कोर्ट में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
बताया जाता है कि फैसले के एक दिन पहले सोमवार की रात में दोनों दरिंदों के चेहरों पर सजा की आशंका के चलते डर साफ देखा गया। जेल सूत्रों की माने तो सोमवार की सुबह से ही दोनों आरोपियों के चेहरे पर सजा को लेकर बैचेनी थी। शाम को करीब साढ़े छह बजे से सात बजे के बीच दोनों आरोपियों को खाना दिया। लेकिन सजा के डर से आरोपियों ने कम खाना खाया। उसके बाद अपने बैरक कभी बैठते तो कभी ऊपर देखते। देर रात तक आरोपी कभी बैरक में खड़े हो इधर-उधर घूमते तो कभी करवटे बदलते रहते।
ज्ञात हो कि 26 जून की शाम 5.30 बजे हाफिज कॉलोनी स्थित विद्यालय से 8 वर्षीय बालिका का अपहरण कर आसिफ और इरफान लक्ष्मण दरवाजे के पास जंगल में ले गए थे। जहां बालिका के साथ दुष्कर्म किया और उसका गला चाकू से रेंत कर मृत समझकर वहां से फरार हो गए थे। 27 जून को दोपहर में बालिका लड़खड़ाते हुए बाहर आई थी। पुलिसकर्मी उसे जिला अस्पताल लाए। यहां से प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने बालिका को इंदौर रैफर कर दिया था। बालिका का अभी इंदौर में उपचार चल रहा है।