नई दिल्ली। हमारी जेब में रखी पूंजी अर्थात तरह-तरह के करेंसी नोट पहुंचा रहे हैं हमारे स्वास्थ को भारी चोट। जी ! सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन हकीककत है कि हमारे पास मौजूद तमाम नोट जहां एक तरफ हमें अमीर होने का ऐहसास दिलाते हैं वहीं सेहत से काफी गरीब कर जाते हैं। क्यों कि तमाम बीमारियों के बेहद करीब कर जाते हैं। दरअसल ये बात हाल ही में आई एक रिपोर्ट में सामने आई है।
गौरतलब है कि छोटे व्यापारियों के देशव्यापी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा है कि दो शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि करेंसी नोट कई तरह की बीमारियों को न्योता देते हैं। संगठन का कहना है कि यदि शोध रिपोर्ट के यह दावे सही हैं तो इन बीमारियों से बचाव के उपाय होने चाहिए।
ज्ञात हो कि उक्त रिपोर्ट्स के अनुसार करेंसी नोट कई हाथों से होकर आप तक पहुंचते हैं। जिसमें गंभीर बिमारियों से ग्रस्त लोग भी शामिल हैं। इसी वजह से करेंसी नोट कई तरह के कीटाणुओं के संपर्क में आती है। जिनसे हमेशा बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। कैट ने पत्र की एक कॉपी कॉपी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मंत्री जेपी नड्डा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भी भेजी है। संगठन का मानना है कि सरकार के अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को आगे आना चाहिए।
जैसा कि इस बाबत संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा, यदि यह शोध रिपोर्ट्स सही हैं तो करेंसी नोट न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि आम उपभोक्ता के लिए भी खतरनाक हैं।’ काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के अंतर्गत काम करने वाले संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के शोध में करेंसी नोटों में 78 तरह के बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया मिले हैं। वहीं ज्यादातर नोटों में पेट खराब होने, टीबी और अल्सर जैसी बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया पाए गए हैं।
बताया जाता है कि जापान और यूरोप के कई देशों ने नोटों को मशीनों के जरिए बैक्टीरिया मुक्त करने की व्यवस्था की है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज (आईजेसीएमएएस) ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज में 2016 में करेंसी नोटों पर शोध किया था। जिन 120 नोटों पर रिसर्च की गई उनमें 86.4 प्रतिशत नोट बैक्टीरिया से संक्रमित थे। इन नोटों को डॉक्टर, बैंक, बाजार, मीट कारोबारी, छात्रों और गृहणियों से लिया गया था। डॉक्टरों से लिए गए इन नोटों में मूत्र संबंधी, सांस लेने में परेशानी, सेप्टिसीमिया, त्वचा संक्रमण, दिमागी बुखार आदि के कीटाणु मिले।