लखनऊ। मुलायम परिवार की कलह समाजवादी पार्टी के भविष्य के लिए अब नासूर बनती जा रही है क्योंकि जिस तरह से पार्टी से अलग होकर अपना दल बनाने के बाद पार्टी ही नही बल्कि इटावा और आसपास के कई क्षेत्रों में आज भी बखूबी अपनी पकड़ रखने वाले शिवपाल यादव का असर रंग दिखाने लगा है। समाजवादी पार्टी के अलम्बरदार जो कल तलक उनको बेहद हल्के में लेने लगे थे अब उनको भी काफी कुछ समझ में आने लगा है।
गौरतलब है कि जिस तरह से शिवपाल अपना अलग दल बनाने के बाद से नित नये बयान देकर न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल तो मचा ही रहे हैं साथ ही बेहद ही सधी रणनीति के तहत आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां कर अपनी बिसात बिछाने में लग गए हैं। उससे समाजवादी खेमें में बेचैनी बढ़ने लगी है।
हालांकि शुरू में ऐसा माना जा रहा था कि देर सवेर मामला सुलट जाएगा किसी को ऐसा आभास भी न था कि मामला इस बार इस हद तक उलट जाएगा। अगर सूत्रों की मानें तो इसकी ही बानगी है कि अब समाजवादी खेमें में न सिर्फ बेचैनी का आलम है बल्कि शिवपाल के हर कदम और रणनीति पर नजर रखी जा रही है।
वहीं अब समाजवादी खेमें के लिए जहां एक और बेचैन करने वाली खबर ये है कि जिस तरह से शिवपाल ने ऐसा दावा किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनने में जहां उनके सेक्यूलर मोर्चे का अहम योगदान होगा वहीं उन्होंने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में उनके मोर्चा इस हालत में होगा कि उसके बगैर प्रदेश में सरकार ही नही बन सकेगी।
इतना ही नही जैसा कि माना जा रहा था और शिवपाल द्वारा लगातार कहा भी जा रहा था उसके अनुरूप अब पार्टी में खुद को उपेक्षित महसूस करने वाले लोग भी धीरे-धीरे शिवपाल के साथ होना शुरू कर देंगे। इसी क्रम में इटावा सदर से विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य ने सेक्युलर मोर्चे का दामन थाम लिया।
रघुराज सिंह शाक्य इटावा जिले के जसंवतनगर इलाके के धौलपुर खेडा गांव के रहने वाले हैं। वह दो बार सांसद और एक बार विधायक रह चुके हैं। बताया जाता है कि रघुराज को राजनीति में स्थापति करने का श्रेय शिवपाल यादव को जाता है। बताया जाता है कि 2017 में ही अखिलेश और शिवपाल में आपसी रार के चलते विधानसभा चुनाव के दौरान रघुराज ने अपने सैंकड़ाें समर्थकों संग समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी।
सियासी जानकारों की मानें तो महज नेता जी के चलते इतने दिनों तक उपेक्षा को झेलते रहे शिवपाल सिंह यादव ने नई पार्टी बनाकर अब अपना सियासी दांव चल दिया है। ये लोकसभा चुनाव से पहले भतीजे अखिलेश का सिरदर्द बढ़ा सकता है। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा को इटावा, मैनपुरी के इलाके में जबरदस्त नुकसान हुआ।