नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अर्थात पार्टी के चाणक्य अमित शाह की हैसियत और अहमियत का अंदाजा इस बात से बखूबी लगाया जा सकता है कि उनका कार्यकाल भले ही जनवरी 2019 में समाप्त हो रहा हो लेकिन इसके बावजूद पार्टी का हर पदाधिकारी और कार्यकर्ता चाहता है कि पूरे साल 2019 में वो कम से कम अपने पद पर बने रहें।
गौरतलब है कि पूरी पार्टी का यही मानना भी है कि अमित शाह कुर्सी पर बने रहें। पार्टी की बागडोर वही संभालें और एक बार फिर सत्ता में लौटें। पार्टी कार्यकारिणी ने तय कर लिया है कि जब तक 2019 के लोकसभा चुनाव नहीं हो जाते वो ऐसा कोई फेरबदल नहीं करने वाली। सूत्रों का मानना है कि एससी/एसटी के मुद्दे पर पिछड़ी जाति का वोट भाजपा अपने खाते में लाना चाहती है। जिसके चलते पार्टी को विश्वास है कि ऐसा अमित शाह की रणनीति से ही सफल हो सकेगा।
हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तेलंगाना के महबूबनगर में 15 सितंबर को जनसभा कर चुनावों के लिए पार्टी अभियान की शुरुआत करने वाले हैं। इस बाबत भाजपा के विधान पार्षद एन रामचंद्र राव ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के भी अभियान में शिरकत करने की संभावना है। उन्होंने बताया कि चुनाव होने तक उनके लगातार यहां आने की संभावना है। मतलब अब अमित शाह 2019 लोकसभा के लिए पूरी तरह से कमर कसने वाले हैं।