नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा आज आधार को लेकर किये गए फैसले पर सरकार और विपक्ष की जोरदार प्रतिक्रिया देखने को मिली। कार्ट के फैसले को जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा ने गरीबोन्मुखी मोदी सरकार की बड़ी जीत बताया है तो वहीं कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे भाजपा के मुंह पर तमाचा बताया है। साथ ही तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने भी इस फैसले का स्वागत किया है।
गौरतलब है कि आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘‘गरीबोन्मुखी मोदी सरकार’’ की बड़ी जीत करार देते हुए भाजपा ने बुधवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। साथ ही कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि इस आदेश ने वास्तव में विपक्षी पार्टी का पर्दाफाश कर दिया है। पात्रा ने कहा कि कांग्रेस इसके खिलाफ शीर्ष अदालत गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि आधार सुरक्षित है ।
जबकि वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आधार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी के लिए आधार सशक्तिकरण का माध्यम था और आज उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कांग्रेस के इसी नजरिये का समर्थन किया है। गांधी ने ट्वीट कर कहा, ” कांग्रेस के लिए आधार सशक्तिकरण का माध्यम था। भाजपा के लिए यह यह दमन और निगरानी का साधन है।” उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के नजरिये का समर्थन करने और उसकी सुरक्षा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद।”
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा , ‘‘ सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से निजता के अधिकार को बरकरार रखा है। मोदी सरकार की कठोर धारा 57 निरस्त हुई। एक तरह से यह ‘ भाजपा के मुंह पर तमाचा ’ है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि नागरिकों के जो डेटा एकत्र किए गए हैं उनको नष्ट किया जाए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा , ‘‘यह भाजपा के मुंह पर तमाचा है। न्यायमूर्ति सीकरी के फैसले ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया और कहा कि यह असंवैधानिक है। बायोमैट्रिक डेटा का व्यावसायिक उपयोग करने की योजना विफल हुई।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिए जाने के फैसले का बुधवार को याचिकाकर्ताओं एवं कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक तहसीन पूनावाला ने शीर्ष अदालत के इस कथन पर खुशी जताई कि बैंक खातों से आधार को जोड़ना अनिवार्य नहीं है और दूरसंचार सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपना फोन नंबर आधार से जोड़ने के लिए नहीं कह सकते।
वहीं इस फैसले के बाबत उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह बहुत ही अद्भुत है कि न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि आधार को बैंक खातों एवं मोबाइल फोन नंबर से जोड़ना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने आधार कानून की धारा 57 को निरस्त कर दिया।
जबकि इस बाबत साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत इस नजरिए से करता हूं कि आधार अब एक जमीनी वास्तविकता है, लेकिन आधार में मौजूद खामियों से पूरी सक्रियता से निपटना चाहिए। साइबर सुरक्षा के मुद्दे उन मुद्दों में शामिल हैं जिन पर भारत सरकार को प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए।”
हालांकि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को कहा कि आधार योजना का मकसद समाज के वंचित वर्ग तक लाभ पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक दृष्टिकोण से भी लोगों की गरिमा का ख्याल रखती है।
इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार अधिनियम से धारा 57 को खत्म किए जाने की प्रशंसा की। इस धारा के तहत निजी इकाइयों को आधार के आंकड़े हासिल करने की अनुमति थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया।
साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने एक ट्वीट में कहा, ‘ सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 57 को निरस्त कर दिया। इसलिए अब आपको निजी इकाइयों, जैसे – बैंक, स्कूल, मोबाइल कंपनी को आधार देने की जरूरत नहीं है। तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी ने इसके लिए काफी संघर्ष किया था।’