लखनऊ। देश के सबसे अहम सूबे में महज गाड़ी न रोकने जैसी जरा सी बात पर पुलिसकर्मी द्वारा एक युवक को गोली मार दिये जाने से युवक की मौत हो जाना एक ऐसा गंभीर और संगीन मामला है कि जिसने जाने कितने ही इस अदब के शहर के बाशिन्दों को दहला कर रख दिया है। इस मामले में घटना की चश्मदीद और आरोपी भले ही बयान दे रहे हों अपने-अपने लेकिन सच तो कड़वा और खौफनाक ये ही है कि इस सबके बीच टूट गये दो हंसते खेलते घर के जाने कितने ही सपने। क्योंकि जहां इससे प्रभावित मृतक विवेक का परिवार हुआ है तो वहीं इसमें आरोपी पुलिसकर्मी प्रशांत का परिवार भी अछूता नही रहा है।
हालांकि आरोपी सिपाही द्वारा अपनी तहरीर पर गौर न किये जाने की दुहाई दी जा रही है लेकिन उक्त सिपाही की खता महज खता न होकर बड़ा गुनाह बन चुकी है इसलिए फिलहाल इन हालातों में काबिले गौर नही रही। वहीं इस पूरे मामले की एक मात्र चश्मदीद की अगर मानें तो भी जैसा कुछ घटित हुआ उससे भी मित्र पुलिस का एक अलग ही चेहरा सामने आता है।
गौरतलब है कि मृतक की साथी और चश्मदीद सना की मानें तो फोन लॉन्चिग में देर होने के चलते उसके बॉस विवेक तिवारी उसे घर छोड़ने जा रहे थे। गोमतीनगर विस्तार में सीएमएस स्कूल के पास सामने से दो पुलिस वाले आ गए। दोनों हमें जबरदस्ती रोकने लगे, लेकिन मैं अकेली थी तो किसी तरह की बात न हो इसलिए सर ने गाड़ी को नहीं रोका, लेकिन हम जैसे ही आगे बढ़े पुलिस वाले ने गोली मार दी।
सना ने बताया कि पुलिस वालों ने सामने गाड़ी लगाई थी, जब विवेक सर साइड से गाड़ी निकालने लगे तो हमारी गाड़ी का पहिया थोड़ा सा बाइक पर चढ़ गया, उस समय तक पुलिसवाले बाइक से उतर चुके थे। उन्होंने बताया कि पुलिसवालों को बिल्कुल भी चोट नहीं लगी थी। इसके बाद एक पुलिस वाले ने विवेक सर पर तुरंत फायरिंग कर दी, जबकि दूसरे के हाथ में लाठी थी।
सना का कहना था कि जब तक मैं कुछ समझ पाती गाड़ी जाकर आगे दीवार से टकराकर रुक गई। इसके बाद देखा तो विवेक के सिर से खून बह रहा था। कुछ समय बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और विवेक को अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
हालांकि घटना की गंभीरता को देखते सना की तहरीर पर पुलिस ने आरोपी सिपाहियों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद उन्हें बर्खास्त भी कर दिया गया है। इतना ही नही इसके साथ ही विवेक हत्याकांड की एकमात्र चश्मदीद सना को कथित तौर पर पुलिस ने नजरबंद कर दिया है। घटना के करीब एक से डेढ़ घंटे के भीतर ही पुलिस ने उससे तहरीर भी लिखवा ली थी।
वहीं अगर सब बातों को बखूबी गौर किया जाये तो काफी हद तक कुछ ऐसे सवाल सामने आ रहे हैं जो पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। सबसे अहम और गौर करने की बात है कि केस दर्ज करने में हमेशा लापरवाही करने वाली पुलिस ने आखिर विवेक के किसी परिजन का इंतजार क्यों नहीं किया? इसके साथ ही घटना के एक घंटे के भीतर ही सना से ही तहरीर क्यों लिखवा ली?
लेकिन इसके साथ ही इस मामले में कुछ और भी बातें हैं जो कुछ अहम सवाल भी खड़ी करती हैं कि पुलिस के कहने पर युवक ने गाड़ी को क्यों नहीं रोका। वहीं घटनास्थल से जारी तस्वीरों में मृतक की कार में शराब की बोतल भी नजर आ रही है। जो अपने आप में काफी कुछ कहानी बयां करती नजर आ रही है।
वहीं इस घटना के विवेक हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलिसकर्मी प्रशांत चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। मीडिया से बात करते हुए प्रशांत ने कहा कि उच्च अधिकारी दबाव के चलते उसका मुकदमा दर्ज नहीं कर रहे, जबकि उसने सुबह ही तहरीर दी थी।
घटना के बारे में जानकारी देते हुए प्रशांत ने कहा कि वह सिर्फ विवेक को पिस्टल से धमकाना चाहता था, लेकिन गाड़ी का धक्का लगने से वह गिर गया और गोली चल गई। उसे अपने बचाव का पूरा मौका मिलना चाहिए।
आरोपी पुलिसकर्मी के साथ उसकी पत्नी भी मौजूद थी, जो कि स्वयं महिला कांस्टेबल है। उसने कहा कि हमें अपने बचाव के लिए पिस्टल दी गई है। खुद डीजीपी साहब ने हमें कई बार यह निर्देश दिए हैं। दोनों ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।