नई दिल्ली. महाकुंभ को लेकर प्रशासन पहले से ही अलर्ट हो गया है. गंगा के किनारे स्थापित सभी 1100 औद्योगिक इकाइयों को तीन महीने के लिए बंद रखने का फैसला किया है. लखनऊ में हुई बैठक में मुख्य सचिव अनूप चंद पांडेय ने टेनरी संचालकों के साथ यह फैसला लिया. टेनरी संचालकों से दो टूक कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि 15 दिसंबर के बाद पूरे कुंभ मेले तक गंगा में एक बूंद भी औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषित कचरा नहीं जाना चाहिए. प्रदेश सरकार ने अभी तक गंगा किनारे की औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का जो फैसला लिया था उसमें सिर्फ जाजमऊ में स्थापित 400 टेनरियों की तीन महीने तक बंदी शामिल थी.
लखनऊ की बैठक में टेनरी संचालकों ने कहा कि टेनरियों का प्रदूषित पानी शोधित होने के बाद पाइप के जरिए सिंचाई के लिए जा रहा है, गंगा में इसे नहीं भेजा जाता है. टेनरी संचालकों ने कहा कि जिस प्लांट में टेनरियों का प्रदूषित पानी शोधित होता है, उसमें तीन नालों का पानी भी शोधित होने के लिए भेजा जाता है. इस पर मुख्य सचिव ने तत्काल जल निगम अधिकारियों को तीनों नाले नवंबर तक बंद करने का आदेश दिया.
मुख्य सचिव बताया कि गंगा की सहायक नदियों के किनारे की औद्योगिक इकाइयों के लिए भी यह आदेश लागू होगा. काली नदी, नोन नदी, पांडु नदी गंगा में मिलती हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि गंगा में किसी भी तरह का प्रदूषण 15 दिसंबर के बाद जाने के लिए प्रमुख सचिव पर्यावरण कल्पना अवस्थी, नगर विकास प्रमुख सचिव मनोज सिंह की जिम्मेदारी है.