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इस अनोखे मंदिर में देवी की पूजा के लिए पुरूषों को धारण करना पड़ता है नारी का रूप

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डेस्क। देश भर में इस वक्त शारदीय नवरात्रि की धूम है हर तरफ देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक जारी है। वैसे तो भारत में देवी दुर्गा सहित उनके अनेकों रूपों के करोड़ों मंदिर हैं। अधिकतर मंदिरों के अलग-अलग रीति-रिवाज हैं। कुछ मंदिरों के रिवाज तो इतने अनोखे हैं कि सुनकर लोग दंग रह जाते हैं।

लेकिन अगर कुछ मंदिरों के रीति रिवाज के बारे में आप जानेगों तो एक पल को सोच में पड़ जाएगें। आज हम एक ऐसे ही बहुत अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे। दरअसल देवी के इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पुरूष औरत का वेष धारण करते हैं। गौरतलब है कि यहां मर्दों को देवी के दर्शन लेने के लिए औरत बनना पड़ता है। औरतों की तरह सोलह श्रृंगार करना पड़ता है। सिर्फ यही नहीं औरतों की तरह कपड़े भी पहनने पड़ते हैं। इस मंदिर में औरतों भले यूं ही चली जाएं लेकिन पुरूष महिला बनकर ही प्रवेश कर सकते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे ये क्या है? ऐसा क्यों है और कहां है ये अनोखा मंदिर?  तो हम आपको बता दें कि ये सबसे अनोखा मंदिर केरल राज्य के तिरुवंतपुरम में स्थित है। इस मंदिर में जो चाहे वो पूजा करने आ सकता है। फिर चाहे वो महिला हो या किन्नर सभी देवी की पूजा कर सकते हैं। यहां कोई उम्र सीमा भी तय नहीं। यहां सिर्फ एक ही रिवाज है वो है पुरुषों को महिलाओं का रूप धारण करना पड़ता है।

कोल्लम जिले में बने इस मंदिर में हर साल चाम्याविलक्कू त्योहार मनाया जाता है। हर साल इस मंदिर में हजारों की संख्या में महिला व पुरुष दर्शन करने के लिए आते हैं। उन्हें साड़ी के साथ महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करने पड़ते हैं। जैसे जेवर, मेकअप और गजरा भी लगाना पड़ता है। अगर कोई सारा सामान लेकर नहीं तो मंदिर के बाहर सभी समान लेकर तैयार होकर देवी के दर्शन करता है।

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में मौजूद माता कोत्तानकुलांगरा देवी की मूर्ती जमीन से अपने आप प्रकट हुई थी। ये राज्य का एक ऐसा मंदिर है जिसके गर्भ गृह के ऊपर किसी तरह का छत या कलश नहीं रखा गया है। मंदिर की एक चमत्कारी कहानी है। माना जाता है कि सदियों पहले कुछ चरवाहो ने महिलाओं के वस्‍त्र में पत्‍थर पर फूल चढ़ाए थे जिसके बाद उस पत्‍थर से दिव्‍य शक्‍ति निकलने लगी। इसके बाद इस पत्‍थर को मंदिर में स्‍थापित कर दिया गया और तभी से लेकर आज तक इसकी पूजा होती आ रही है।

इसके अलावा इस मंदिर से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है कि जिसके अनुसार कुछ लोग पत्‍थर पर नारियल फोड़ रहे थे और इसी दौरान पत्‍थर से खून निकलने लग गया और इसी के बाद से यहां देवी की पूजा होने लगी। इसलिए यहां कोत्तानकुलांगरा देवी की पूजा की जाती है। देवी के दर्शन के लिए सिर्फ पुरूषों को औरत का अवतार धारण करना पड़ता है। इस मंदिर में महिला बने पुरूषों को देखना अपने आप में बहुत बड़ा भव्य नजारा होता है।

आपने कई बार ऐसे मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। पर कोत्तानकुलांगरा एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर प्रवेश करने और पूजा करने के लिए पुरुषों को बनना का भेष धरना होता है। इतना ही नहीं अगर पुरूषों ने ऐसा नहीं किया तो वह इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं कर सकते हैं। वहीं श्रृंगार किए बगैर जाना अशुभ माना जाता है और नुकसानदायक भी कहा गया है। इसलिए यह मंदिर दुनिया भर में विख्यात है।

 

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