दीवाली पूरे देश में मनाया जाना वाला सबसे बड़ा त्योहार है। माना जाता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी जी धरती पर आती हैं और इसी कारण लोग कई दिन पहले अपने घरों, दुकानों और व्यापारिक स्थलों की सफाई करना शुरू कर देते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि मां लक्ष्मी साफ जगह पर वास करती हैं इसलिए साफ-सफाई के साथ-साथ दीवाली पर डैकोरेशन को भी बहुत अहमियत दी जाती है। घरों मेें नए-नए शो पीस फ्लावर पॉट कर्टन, फर्नीचर आदि से सजाया जाता हैं। डैकोरेशन की शुरुआत घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाकर की जाती है, जिसे लगाना काफी शुभ माना जाता है। तोरण आप दरवाजें व खिड़कियों पर लगा सकते हैं। इसे खुशियों का संकेत माना जाता है।
क्यों लगाया जाता है तोरण?
तोरण को बंदनवार भी कहा जाता है। मां लक्ष्मी के स्वागत व उन्हें प्रसन्न करने के लिए दरवाजे पर इसे लगाना शुभ माना जाता है। इसे शुभ मौको पर जैसे बच्चे के जन्म, शादी, मेहमानों के स्वागत के लिए दरवाजों व खिड़कियों पर लगाया जाता है। तोरण लगाने से घर की नाकारात्मक ऊर्जा दरवाजे से ही वापिस चली जाती है।
कई तरीकों से बनाया जाता है तोरण
तोरण कई तरह से बनाए जाते हैं। आम के पत्तों,धान की बालियों और गेंदे को फूलोें से बना तोरण का अलग-अलग महत्व है।
1. आम के पत्तों का तोरण
आम के पत्तों को मुख्य द्वार पर तोरण के रूप में लटकाने से घर में आने वाले हर व्यक्ति के साथ साकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। इससे हर काम बिना विघ्न पूरा हो जाता है।
2. गेंदे के फूल से बना तोरण
गेंदे के फूल भी आम के पत्तों के साथ लगाना शुभ माना जाता है। पीले रंग के इन फूलों का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है इसलिए कहा जाता है कि जिस घर के द्वार पर गेंदे का फूल लगाया जाता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।
3. धान की बालियों वाला तोरण
धान का इस्तेमाल भी तोरण के लिए शुभ माना जाता है। पुराने जमाने में लोग धान की बालियां वाला तोरण लगाते थे। मान्यता है कि घर के दरवाजे पर धान की बालियां लगाने से घर धन-धान्य से भरा होता है और ऐसे घरों में कभी अनाज की कमी नहीं होती।
समय बदलने के साथ-साथ अब तोरण की बनावट में भी बदलाव आ रहा है। तोरण को आज भी डैकोरेशन का खास हिस्सा माना जाता है लेकिन अब इसमें आम के पत्तों,धान की बालियों और गेंदे के फूलों की जगह पर मोती, कलश,आर्टीफिशियल पत्तों, रंग-बिरंगे फूल व खूबसूरत इम्ब्रायडरी वाले तोरण ने ले ली है।