मुम्बई! पिछले वर्ष फिजी में पहले अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के आयोजन की परिकल्पना की गई थी,परंतु विश्व हिंदी सम्मेलन के चलते इस सम्मलेन को स्थगित कर दिया गया था. अब यह सम्मेलन भारतीय उच्चायोग द्वारा 15 -17 फरवरी(2019 ) को किया जा रहा है. इस सम्मेलन की विशेषता यह है कि,पैसिफक में हिंदी का विशालतम सम्मेलन,फिजी में पहला ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन,भारतीय उच्चायोग का आयोजन,फिजी सरकार और फिजी शिक्षा मंत्रालय का समर्थन,12 देशों में कार्यरत यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ पैसिफिक सह-आयोजक,फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ फिजी का सहयोग,भारतीय डायसपोरा व समस्त हिंदी संस्थाओं का सहयोग,मारिशस, सूरीनाम,त्रिनिडाड,साउथ अफ्रीका,गुयाना देशों से भागीदारी,पैसिफिक के पड़ोसी देश आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से बड़ी संख्या में भागीदारी-विशेषकर फिजीयन डायसपोरा की तथा विशेष संदर्भ-महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती पर एक विशेष सत्र होगा. समांतांर सत्रों के माध्यम से अधिक से अधिक वक्ताओं को बोलने का अवसर,यूरोप और अमेरिकी महाद्वीप से भागीदारी,भारत की सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली रामलीला का सांस्कृितक कार्यक्रम के रूप में प्रदर्शन के साथ ही भारत के प्रख्यात कवियों-कवियित्रियों की भागीदारी रहेगी.
जैसा कि आप जानती हैं गिरिमिटिया मजदूरों के 19 वीं शताब्दी के अंत में आगमन के साथ ही, फीजी में हिदी प्रचलित हो गयी. विभिन्न प्रदेशों से आए गिरमिटिया मजदूरों ने संपर्क भाषा के रूप में हिदी को अपनाया जिसे फीजी हिंदी कहा गया. उन्होंने अपनी पंरपरा और संस्कृति का संरक्षण इसी भाषा के माध्यम से किया. हिंदी फीजी के औपचारिक शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है . देश में चार रेडियो स्टेशन हैं जो 24 घंटे चलते हैं. एक साप्ताहिक अखबार ‘ शांतिदूत ’ है जो कि भारत से बाहर दुनिया का सबसे पुराना चलने वाला अखबार है . इसकी स्थापना वर्ष 1935 में हुई थी. फीजी में तीन विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर हिंदी पढ़ाई जाती है . फीजी में कमला प्रसाद, जोंगिदर सिंह कँवल, डॉ सुब्रमणि और विवेकानंद शर्मा जैसे लेखक हुए हैं जिनकी रचनाशक्ति पर हिंदी को गौरव है. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि फीजी में हिंदी घर,बाहर, बाजार सब जगह इस्तेमाल की जाती है. हिंदी फीजी में एक जीवंत भाषा है.
फीजी में लाखों लोगों द्वारा हिंदी बोली,पढी और समझी जाती है. रेडियो स्टेशन हैं, अखबार हैं, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में हिंदी है और 2000 से अधिक रामायण मंडलियां हैं. प्रस्तावित सम्मेलन ऐसा पहला ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन है . इसमें निश्चित रूप से भारत प्रमुख प्रेरणा देश है ही परंतु सम्मेलन में भागीदारी की दृष्टि से दो क्षेत्रों पर विशेष महत्व दिया गया है. पहला प्रशांत देश जिसमें आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य प्रशांत द्वीप देश शामिल हैं, दूसरा गिरमिटिया देश जिसमें मारिशस, त्रिनिडाड सूरीनाम, गुयाना शामिल हैं. प्रशांत देशों के साथ फीजी की भौगोलिक साझेदारी है तो गिरमिटिया देशों के साथ साझा ऐतिहासिक संवेदनाएँ. इसके अतिरिक्त ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य महाद्वीपों के लेखक, विद्वानों का भी इस सम्मेलन मे स्वागत है. इस सम्मेलन में साहित्य, शिक्षा के अतिरिक्त हिंदी मीडिया विशेषकर रेडियो प्रसारण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.
इस ऐतिहासिक सम्मेलन का आयोजन भारतीय हाई कमीशन द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन को फीजी के तीनों विश्वविद्यालयों का समर्थन और फीजी के शिक्षा मंत्रालय का सहयोग प्राप्त है और चूंकि सम्मलेन का थीम ‘युवा पीढ़ी और हिंदी’ है तो सम्मेलन में बड़ी संख्या में फीजी से भी , विद्वान, मीडियाकर्मी, लेखक, अध्यापक भाग लेंगे.