नई दिल्ली! कांग्रेस ने वेबकास्टिंग में बीएसएनएल की बजाय जियो उपयोग करने और गुजरात की कंपनी संघवी इन्फोटेक को ठेका दिए जाने पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने रविवार देर रात मतगणना के समय केवल सीसीटीवी कैमरों से नजर रखने का निर्णय लिया है. मतगणना के समय वेबकास्टिंग और वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल न होने से परिणाम भी देरी से सामने आएंगे. गौर हो कि यह प्रक्रिया मध्य प्रदेश सहित राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में भी अपनाई जाएगी.
दरअसल जब भोपाल और सागर में वेबकास्टिंग के लिए कुछ इंजीनियर कैमरे इंस्टॉल करने का काम कर रहे थे. इस दौरान कांग्रेसियों द्वारा उनका नाम पूछे जाने पर एक ने अपना नाम बताते हुए गुजरात से होने की बात कही थी जिसके बाद कांग्रेस ने हंगामा करना शुरू कर दिया. कांग्रेसी नेताओं और पार्टी से जुड़े लोगों का कहना था कि भारत निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश का खुद का डोमेन (प्लेटफॉर्म) होने के बावजूद मतगणना की जानकारी देने का काम किसी निजी कंपनी के हाथों क्यों सौंपा गया है.
कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मध्यप्रदेश के निर्वाचन सदन पहुंचकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को आपत्ति दर्ज करवाने के बाद पहले तो इसे खारिज कर दिया लेकिन बाद में देर रात ये निर्णय कांग्रेस के पक्ष में लेते हुए वेबकास्टिंग न होने की बात मान ली गई. चुनाव आयोग ने कांग्रेस की वह मांग मान ली है जिसमें उसने वोटों की गिनती के दौरान हर राउंड के पश्चात परिणाम की जानकारी लिखित में देने की बात कही थी और यही कारण है कि चुनाव परिणामों में देरी हो सकती है.
क्या है वेबकास्टिंग और क्यों हो सकती है परिणामों में देरी
मतगणना केंद्र में वीडियो कैमरा लगाया जाता है ताकि सारी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. कैमरा सेंट्रलाइज्ड सर्वर से जुड़ा होने के कारण मतगणना केंद्र का सीधा प्रसारण भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग के अफसर देखते हैं