नई दिल्ली। कांग्रेस को दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है जिसमें उसने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एजेल को दिल्ली के आईटीओ स्थित परिसर को खाली करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस आदेश के खिलाफ नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एजेल की अपील खारिज कर दी जिसमें उसे दिल्ली के आईटीओ स्थित परिसर को खाली करने के लिए कहा गया था।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने हेराल्ड हाउस खाली करने के मामले में केंद्र सरकार व नेशनल हेराल्ड प्रकाशन समूह एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं केंद्र ने लीज की शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हेराल्ड हाउस 15 नवंबर तक खाली करने का निर्देश दिया था। एजेएल ने 12 नवंबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस आदेश को चुनौती दी थी।
जिस पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुनील गौड़ के समक्ष सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एजेएल को समाचार पत्र प्रकाशन के लिए बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित जमीन लीज पर दी गई थी, लेकिन वहां पर 2008 से 2016 के बीच प्रकाशन बंद कर दिया गया। कंपनी ने इस इमारत की तीन मंजिल किराये पर दे दी थी, जिससे उसे 15 करोड़ रुपये किराया मिल रहा था। यह लीज की शर्तों का उल्लंघन है इसलिए कंपनी को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया गया था।
हालांकि एजेएल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने पहला नोटिस सितंबर 2016 में दिया था और उसके बाद अक्तूबर 2018 में इस मुद्दे को उठाया। मेहता ने सिंघवी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड व दूसरे पत्रों का प्रकाशन सरकार के नोटिस के बाद 2016 में दोबारा शुुरू किया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि जब एजेएल ने दोबारा प्रकाशन शुरू कर दिया था, तो फिर नोटिस देने की क्या जरूरत थी।