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नसीरूद्दीन के बयान पर विहिप का प्रहार, नसीर बोले- अफसोस मुझे घर में ही कहा जा रहा गद्दार

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नई दिल्ली। देश में मौजूदा हालातों पर बखूबी अपनी राय रखना भी अब गुनाह होता जा रहा है क्योंकि गलत राय रखने वालों की तो छोड़िये बल्कि अगर कोई सही राय भी रख रहा है तो भी उसको निशाना बनाये जाने की एक नई परंपरा सी बनती जा रही है। संभवतः इन्हीं सब बातों का ही परिणाम है जो जब तब इस तरह से भीड़ की हिंसा जैसी खौफनाक और शर्मनाक घटनाऐं सामने आ रही हैं। कुछ इसी तरह अब भारतीय सिने जगत के जानदार अभिनेता और शानदार शख्सियत नसीरूद्दीन शाह के साथ उनके एक बयान को लेकर हो रहा है। जिसमें उन्होंने महज एक सीधी और सरल सी बात कही। लेकिन अफसोस की चंद छोटी और ओछी सोच रखने वालों ने उनका तमाशा बना कर रख दिया।

गौरतलब है कि चंद छोटी और ओछी सोच रखने वालों के चलते विवादों में फंसे फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक बार फिर सफाई दी है। वह बोले कि मैंने पहले जो कहा वह एक चिंतित भारतीय का बयान था। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मैंने जो भी कहा उस देश के बिगड़े हालात को देखकर कहा। मैं अपने देश को प्यार करता हूं। यह देश मेरा घर है और मुझे मेरे घर में गद्दार कहा जा रहा है।  एक तरह से भीड़ हिंसा मामले में बयान देकर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह विवादों में फंस गए हैं। नसीर ने पिछले दिनों दिए बयान में कहा कि देश में अब डर लगने लगा है। उन्होंने कहा था कि कई जगहों पर पुलिस अफसर से ज्यादा  गाय की हत्या को महत्व दिया जा रहा है।  शाह ने अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि देश में जहर फैल चुका है, इस जिन्न को बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। कानून को अपने हाथों में लेने की खुली छूट मिल गई है।

ज्ञात हो कि नसीरुद्दीन शाह के देश में असुरक्षित माहौल होने के बयान पर विहिप भड़क गई है। उसने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि पैसे लेकर अभिनय करना नसीरुद्दीन शाह का पेशा है। उन्हें यह बताना चाहिए कि इस बार वे किसके इशारे पर यह अभिनय किया है। विहिप ने नसीरुद्दीन शाह के बयान को राजनीति से प्रेरित बताया है। इतना ही नही बल्कि विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने शुक्रवार को कहा कि अब सबको स्पष्ट हो गया है कि पिछले चुनाव से पहले इसी प्रकार पुरस्कार वापसी ब्रिगेड का अभियान पूरी तरह प्रायोजित था। 2019 नजदीक आने पर एक बार फिर उसी तरह का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है जैसे अवार्ड वापसी करके बनाई गई थी। बाद में साफ हो गया था कि वह सिर्फ एक राजनीतिक प्रहसन ही था।

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