भोपाल! कमलनाथ की कैबिनेट की तस्वीर आज साफ हो गई. राजभवन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसकी शुरुआत विजयलक्ष्मी साधौ से हुई. इसके बाद बाकी विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली. कमलनाथ की कैबिनेट में जातिगत समीकरण, क्षेत्रीय सियासत और क्षत्रपों को संतुष्ट करने पर खास ध्यान दिया गया है. कैबिनेट में दो महिलाओं और एक अल्पसंख्यक नेता को जगह दी गई है.
कैबिनेट में मुख्यमंत्री के दस करीबियों को जगह मिली है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खेमे के भी 9 विधायक भी कैबिनेट में जगह पाने में कामयाब रहे हैं. वहीं चंबल-ग्वालियर रीजन में पार्टी को बड़ी जीत दिलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे से सात विधायकों को इस कैबिनेट में मौका मिला है. इसमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसी सिलावट के नाम अहम हैं.
कमलनाथ की कैबिनेट में सबसे बड़ा महिला चेहरा विजयलक्ष्मी साधौ का है. वो पांच बार की विधायक हैं. इस बार भी उन्होंने महेश्वर सीट से जीत दर्ज की थी. साधौ के अलावा सज्जन सिंह वर्मा ने भी आज मंत्री पद की शपथ ली. इस बार वो सोनकच्छ सीट से चुनाव जीते हैं और अनुसूचित जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ का करीबी माना जाता है. वो दिग्विजय सिंह की सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा वो सांसद भी रह चुके हैं और पार्टी में राष्ट्रीय सचिव की बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. मालवा-निमाड़ की राजनीति में उनका बड़ा नाम है.
इसके अलावा हुकूम सिंह कराड़ा ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली. वो शाजापुर से विधायक हैं. इसके अलावा डॉ गोविंद सिंह, जो सात बार के विधायक हैं. उन्होंने भी आज मंत्री पद की शपथ ली. उन्हें विधानसभा अध्य़क्ष बनाने की चर्चा चल रही थी. गोविंद सिंह की पहचान बड़े सहकारी नेता के तौर पर है. वो भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
उमंग सिंघार- गंधवानी से तीसरी बार चुनाव जीते हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं.
हर्ष यादव- देवरी से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. ये भी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं. ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधितत्व करते हैं.
जयवर्धन सिंह- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे हैं. दूसरी बार राघौगढ़ से विधायक चुने गए हैं. ये कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं और प्रदेश में युवा नेता के तौर पर पहचान है.
जीतू पटवारी- मालवा-निमाड़ में पार्टी का बड़ा चेहरे हैं. वो दूसरी बार राऊ से विधायक चुने गए हैं. राहुल गांधी की युवा टीम का सदस्य माना जाता है.
कमलेश्वर पटेल- पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे हैं. सिहावल से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. ये भी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं.
लखन घनघोरिया- अनुसूचित जाति से प्रतिनिधित्व करते हैं. कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं और जबलपुर पूर्व से दूसरी बार विधायक बने हैं.
महेंद्र सिंह सिसौदिया- बमौरी से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. पार्टी में क्षत्रिय चेहरा हैं.
पीसी शर्मा- कांग्रेस में ब्राह्मण चेहरा है. इससे पहले भी दो बार विधायक रह चुके हैं और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं. भाजपा के दिग्गज नेता उमाशंकर गुप्ता को हराया था. भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से चुनाव जीते हैं
प्रद्युम्न सिंह तोमर- ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के माने जाते हैं. पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को हराकर विधायक बने हैं. ग्वालियर से दूसरी बार विधायक बने हैं.
सचिन यादव- साफ सुथरी छवि के सचिन दिवंगत नेता सुभाष यादव के बेटे और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के भाई हैं. उन्हें कैबिनेट का हिस्सा बनाने के लिए अरुण यादव ने पूरी ताकत लगा दी थी.
सुरेंद्र सिंह बघेल- कुक्षी सीट से दूसरी बार विधायक बने सुरेंद्र सिंह बघेल ने भी मंत्री पद की शपथ ली. पूर्व मंत्री प्रताप बघेल के पुत्र हैं.
तरुण भनोट- महाकोशल क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं. पार्टी में ब्राह्मण चेहरा हैं और कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं.