नई दिल्ली। थल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति को और सुधारने की जरूरत है क्योंकि बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकता। साथ ही ये कहा कि सेना ने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर बेहतर तरीके से स्थिति को संभाला है और चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में शांति के लिए हम केवल समन्वयक हैं।’ जनरल रावत ने कहा, ‘हमने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति बेहतर तरीके से संभाली है।’ उन्होंने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं होनी चाहिए। अफगानिस्तान में तालिबान से अमेरिका और रूस की बातचीत पर जनरल रावत ने कहा, ‘अफगानिस्तान में हमारे हित हैं। हम इससे अलग नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा, ‘यही स्थिति जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं की जा सकती। राज्य में हमारी शर्तों पर ही बातचीत होगी।’ थल सेना प्रमुख ने कहा कि बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकता, यह जम्मू कश्मीर पर भी लागू होता है। सेनाध्यक्ष ने कहा कि 20 जनवरी को सेना की नॉदर्न कमांड को नई स्नाइपर राइफल मिल जाएंगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर की परिस्थिति को बेहतर नियंत्रण में लाया जाना चाहिए। हम हार्ड पावर और सॉफ्ट पावर के दृष्टिकोण को अपना रहे हैं। लेकिन आतंकियों को जमीन पर आने की पेशकश की गई है। इससे कौन प्रभावित हो रहा है? कश्मीर के लोग खुद।
इसके साथ ही एक बेहद अहम बात कही कि ‘मैंने इस बात को देखा है कि हमारे कुछ वरिष्ठों में एकता नहीं है। मुझे लगता है कि उनमें एकता होनी चाहिए। हमारे वरिष्ठों का एक बहुत मजबूत समुदाय है जिसकी जरुरत मुख्यधारा के समर्थन में है। ऐसा तभी हो सकता है जब सभी एक रहें और उनमें एकता बनी रहे।’
इसके अलावा जबकि हुर्रियत पर उन्होंने कहा, ‘हमारा रुख एकदम साफ है कि बंदूक छोड़िए और पश्चिमी पड़ोसी से समर्थन लेना छोड़ दें। बातचीत तभी हो सकती है जब हिंसा का रास्ता छोड़ दिया जाए।’ उसके बिना न तो कोई बात संभव है और न ही किसी प्रकार का सहयोग। इसलिए बेहतर है कि वो अपने नजरिये में बदलाव लाएं।