लखनऊ। देश के सबसे अहम सूबे उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनावों के मददेनजर कांग्रेस ने अपनी तैयारियां बेहद ही सधे तरीके से शुरू कर दी हैं। जिसके तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फरवरी में मिशन उत्तर प्रदेश की शुरूआत प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करेंगें। इतना ही नही कांग्रेस अध्यक्ष अगले महीने प्रदेश में 12 रैलियां करेंगे। इसमें टिकट के दावेदारों और पदाधिकारियों को 10 लाख लोग जुटाने का लक्ष्य दिया गया है। लखनऊ में दो या तीन फरवरी को रैली का आयोजन होगा।
अगर सियासी जानकारों की मानें तो उनके मुताबिक हाल के तमाम रात्यों के चुनावों की ही तरह कांग्रेस अध्यक्ष का फोकस इस बार भी साफ्ट हिन्दुत्व पर रहेगा। जिसके चलते प्रदेश में वो जहां कुम्भ में भी शामिल होगें वहीं काशीविश्वनाथ मंदिर समेत अन्य मंदिर के दर्शन भी करने जा सकते हैं। इन सब बातों को देखते ही रविवार को कांग्रेस के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने रैलियों की तैयारियों के लिए जरूरी निर्देश दिए। साथ ही अवध के विभिन्न जिलों से आए कार्यकर्ताओं से बातचीत भी की।
इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर दिन भर बैठकों का दौर चला। इनमें जिलेवार कार्यकर्ताओं से वरिष्ठ नेताओं ने मुलाकात की। गुलाम नबी आजाद ने बताया कि पश्चिमी यूपी, अवध, पूर्वी यूपी और बुंदेलखंड में फरवरी में पार्टी की 12 बड़ी रैलियां होंगी। इन रैलियों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद रहेंगे और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने की अपील करेंगे। यानी, करीब हर दूसरे दिन एक रैली होगी। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह जागने का वक्त है। अगर कार्यकर्ता अभी से जुट गए तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल करने में कोई मुश्किल नहीं आएगी।
वहीं जबकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक फरवरी के पहले सप्ताह में लखनऊ में राहुल गांधी की जनसभा होगी। संभावित तिथि दो या तीन फरवरी बताई गई है। जहां तक है, यह जनसभा रमाबाई मैदान में की जाएगी। इसमें लोगों को लाने के लिए जिलेवार बसों के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। दावेदारों से कहा गया है कि वे जितने लोग लाएंगे, उसी से उनकी दावेदारी की मजबूती तय होगी। प्रत्येक बस पार्टी हाईकमान के राडार पर रहेगी।
इसके साथ ही ऐसा भी माना जा रहा है सपा बसपा द्वारा अनदेखी किये जाने के बाद कांग्रेस का ध्यान फिलहाल प्रदेश में कई अन्य छोटे दलों पर केन्द्रित है। जिसके चलते संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर सुभासपा की भाजपा से बात नही बनी तो उससे बात की जा सकती हे। वहीं अपना दल कृष्णा पटेल समेत कुछ अन्य दलों से भी बात की जा सकती है।