नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने रविवार को दावा किया कि ”लोकलुभावन कार्यक्रमों पर दीर्घकालिक विकास नीतियों को मोदी सरकार द्वारा प्राथमिकता दिये जाने से कई बार समाज के एक वर्ग में नाराजगी हो सकती है लेकिन लोग अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के ”मजबूत और स्थिर नेतृत्व के लिए वोट करेंगे। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने हाल में राज्य चुनावों में हुई हार से सबक सीखा है और प्रधानमंत्री मोदी के तरकश में कई तीर हैं।
गौरतलब है कि पासवान ने एक साक्षात्कार में कहा, ”चुनावों के लिए कुछ ही महीने बचे हैं। सरकार एक के बाद एक तीर चलाएगी। लोगों के दिमाग में सबसे ज्यादा यह चल रहा होगा कि प्रधानमंत्री के रूप में विपक्ष की पसंद कौन होगा। अगली सरकार स्थिर होगी या अस्थायी। लोग कमजोर, अस्थिर सरकार के बजाय मजबूत और स्थिर सरकार को प्राथमिकता देंगे जिससे मोदी की जीत होगी। उन्होंने कहा, ”मैं आपको बता दूं। यह 10 प्रतिशत कोटा हमारे वोट शेयर में 10 प्रतिशत की वृद्धि करेगा।
इसके साथ ही पासवान ने कहा कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के वास्ते 10 प्रतिशत आरक्षण के कदम से भाजपा नीत राजग सरकार का मत प्रतिशत 10 प्रतिशत तक बढ़ेगा जिससे नरेन्द्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। पासवान ने कहा कि लोग विपक्ष के प्रस्तावित महागठबंधन को उसके अंतर्निहित अंतर्विरोध और अस्थिरता के कारण खारिज कर देंगे।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का विरोध किये जाने के बाद बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को अपना खाता खोलने में मुश्किल होगी। उन्होंने दावा किया कि राजग उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 70 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करके अपने 2014 के करिश्मे को दोहरायेगा। वर्ष 2014 में लोकसभा की 543 सीटों में से राजग ने 336 सीटों पर जीत दर्ज की थी और भाजपा ने 282 सीटों पर जीत दर्ज करके अपने बलबूते बहुमत हासिल कर लिया था। पासवान की पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी।
लगभग सभी राज्यों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक की भूमिका में रहे दलितों के बीच संभावित मतदान प्रवृत्ति के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री को उनके लिए काम किये जाने के रूप में देखा जाता है और यह सत्तारूढ़ गठबंधन की मदद करेगा। पासवान ने कहा, ”यह स्पष्ट है कि दलित अब यह जानते हैं कि मोदी दलित विरोधी नहीं हैं जैसा उन्हें पेश किया जा रहा था। उन्होंने उनके खिलाफ अत्याचार पर कानून को मजबूत किया और भीमराव अंबेडकर की विरासत को दिखाने के लिए बहुत कुछ किया है। उनमें से अधिकांश चुनाव के दौरान उनका समर्थन करेंगे।