नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों से पहले जैसा कि माना जा रहा था कि राम मंदिर मामला गर्मा जायेगा ठीक उसके ही अनुरूप मंदिर मामले ने आखिरकार जोर पकड़ ही लिया। जिसकी बानगी है कि परम धर्म संसद में ये तय हो गया कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए 21 फरवरी को आधारशिला रखी जाएगी।
गौरतलब है कि जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा प्रयागराज में बुलाए गए परम धर्म संसद में ऐसा प्रस्ताव बुधवार को पारित किया गया। परम धर्म संसद के निर्णय अनुसार साधु-संन्यासी बसंत पंचमी के बाद अयोध्या कूच करेंगे। मंदिर निर्माण का जिम्मा साधु-संतों के कंधों पर होगा।
परम धर्म संसद पिछले तीन दिनों से प्रयागराज में चल रही थी। बुधवार को पूरे दिन राम मंदिर निर्माण पर चर्चा हुई और चर्चा के बाद प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि 21 फरवरी को राम मंदिर निर्माण शुरू होगा।
वहीं इस दौरान शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में मस्जिद नहीं, मंदिर तोड़ा गया था। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जन्मभूमि छोड़कर दूसरी जगह मंदिर निर्माण की साजिश रची जा रही है। नरसिंह राव ने कहा था कि जिनसे जमीन ली वो लौटाई नहीं जाएगी। हम अयोध्या जाकर जन्मभूमि में मंदिर का शिलान्यास करेंगे।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों अयोध्या विवाद को लेकर मोदी सरकार बड़ा दांव चलते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सरकार ने रिट पिटीशन दायर कर विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीन यथास्थिति हटाने की मांग की है।
उन्होंने इसे रामजन्म भूमि न्यास को लौटाने को कहा है। सरकार ने कोर्ट से कहा है कि विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर ही है। बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है, लिहाजा इस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है।
धर्मसंसद में परम धर्मादेश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पढ़ा। इसके अनुसार, नंदा, भद्रा, जया, और पूर्णा नाम की शिलाओं का अयोध्या में शिलान्यास होगा। राम मंदिर के लिए शांति पूर्ण और अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया जाएगा। अयोध्या में 21 फरवरी को शिलान्यास करने की तिथि निश्चित की गई। रोके जाने पर गोली खाने को भी संत तैयार हैं। राम मंदिर के निर्माण के लिए जमीन न सौंपे जाने तक जेल जाने का आंदोलन चलेगा।
परम धर्म संसद में सौ से अधिक देशों के 1008 प्रतिनिधि पहुंचे। स्पेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, निकारागुआ, इंडोनिशिया, ब्राजील आदि देशों से आए प्रतिनिधियों ने भी सनातन धर्म से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी थी। पहले दिन राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा घोषित न किए जाने से नाराज धर्माचार्यों ने मोदी सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया था। दूसरे दिन मंगलवार को धर्मांतरण, फर्जी धर्माचार्य, विवाह संस्था, संस्कृत भाषा रक्षा समेत आठ विधेयक पारित किए गए। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि राम जन्मभूमि के लिए बलिदान देने का समय आ गया है। मंदिर के लिए शांति पूर्ण और अहिंसक आंदोलन चलाया जाएगा।
बसंत पंचमी के बाद हम सब अयोध्या प्रस्थान करेंगे। अगर हमें रोका गया तो हम लोग गोली खाने के लिए भी तैयार हैं। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि अयोध्या में मंदिरों की कमी नहीं है, लेकिन राम मंदिर का निर्माण वहीं होगा जहां वर्तमान में रामलला विराजमान हैं। उन्होंने कहा, 31 जनवरी को प्रयागराज में हो रहे विहिप के धर्म संसद में मंदिर निर्माण की तिथि तय की जाएगी। यह तिथि लोकसभा चुनाव से पहले की होगी या बाद की, यह धर्म संसद में तय किया जाएगा।
इधर, प्रयागराज कुंभ में होने वाली विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में देश और दुनिया के करीब पांच हजार संत शामिल होंगे। दो दिवसीय धर्म संसद 31 जनवरी से शुरू होगी और 1 फरवरी को राम मंदिर से संबंधित प्रस्ताव इसमें पेश किया जाएगा। संतों के इस समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल होंगे।
विहिप के उपाध्यक्ष और केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र ने बताया कि राम मंदिर को लेकर विहिप की अब तक की सबसे बड़ी धर्म संसद कुंभ मेले में होने जा रही है। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि धर्म संसद में देश के हर जिले की नुमाइंदगी हो। अयोध्या में मंदिर निर्माण का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में अटका है। 29 जनवरी को इस मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन 5 जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबडे की गैर-मौजूदगी के चलते सुनवाई को टाल दिया गया। अब सुनवाई कब होगी, इसकी तिथि तय नहीं हुई है।