नई दिल्ली. देश को कोरोना वायरस के सामूहिक संक्रमण से बचाने के लिए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पीएम मोदी के Janta Curfew में बढ़ चढ़कर भाग लिया है. व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और वे दूसरे लोगों की तरह अपने घर पर रहे. हालांकि इससे देशभर में छोटे व्यापारियों को करीब 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वजहJanta Curfew में सात करोड़ व्यापारी और उनके 40 करोड़ कर्मचारी शामिल थे.
यहां कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि दुकानदारों ने यह नुकसान खुशी खुशी झेला है. इतना ही नहीं, खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से यह अपील भी की है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए वे नेशनल लॉकडाउन घोषित करें. साथ ही कैट ने व्यापारियों के लिए एक आर्थिक पैकेज देने का भी आग्रह किया है. कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता कफ्र्यू के आह्वान को समर्थन देते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के नेतृत्व में देश भर के लगभग सात करोड़ से अधिक व्यापारियों ने रविवार को अपना कारोबार बंद रखा.
व्यापारियों सहित उनके लगभग 40 करोड़ कर्मचारी भी अपने घर पर रहकर जनता कफ्र्यू में शामिल हुए. देश भर में लगभग 60 हजार व्यापारिक बाजार पूरी तरह बंद रहे. कहीं पर कोई कारोबार नहीं हुआ. कैट के साथ जुड़ते हुए लगभग एक करोड़ की संख्या वाला ट्रांसपोर्ट, लगभग चार करोड़ हॉकर्स तथा गो करोड़ लघु उद्योगों ने भी अपना कारोबार बंद रखा. ये सब भी जनता कफ्र्यू में शामिल हुए.इस मुहीम में कैट के साथ आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन, आल इंडिया हॉकर्स फेडरेशन, लघु उद्योग भारती, एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, आल इंडिया लेडीज एंटररप्रेन्योर्स एसोसिएशन, आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस, भारतीय किसान मंच आदि राष्ट्रीय संगठनों से सम्बंधित लोगों ने भी जनता कफ्र्यू में शामिल होकर प्रधानमंत्री की अपील को सफल बनाया.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कैट द्वारा आयोजित व्यापारियों का तीन दिवसीय व्यापार बंद भी रविवार को जनता कफ्र्यू में तब्दील हो गया. दिल्ली के सभी प्रमुख छोटे बड़े बाजार बंद रहे, दिल्ली में व्यापार बंद सोमवार को भी जारी रहेगा. सोमवार शाम को दिल्ली के व्यापारी नेता आगे के बारे में निर्णय लेंगे. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महामंत्री खंडेलवाल ने बताया की कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए सरकार के प्रयासों को अभूतपूर्व बताते हुए उनसे आग्रह किया है कि कोरोना वायरस से देश को सामूहिक संक्रमण से बचाने के लिए एहतियात के तौर पर 31 मार्च तक देश में नेशनल लॉकडाउन घोषित करें.
प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में उन्होंने कहा कि जिस तेजी से देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं वे चिंताजनक हैं. हालाकिं सरकार अपनी तरफ से कोरोना से बचाव के सभी उपाय अपना रही है लेकिन फिर भी सामूहिक संक्रमण से देश को बचाना जरूरी है. अनेक राज्यों में आंशिक लॉकडाउन पहले से ही चालू है, ऐसे में सरकार द्वारा घोषित किये गए नेशनल लॉकडाउन में देश के सभी वर्ग एवं नागरिक सरकार का साथ देने से पीछे नहीं हटेंगे. कैट ने यह भी कहा की दवा की दुकानें, डेयरी उत्पाद बेचने वाले तथा रिहायशी कॉलोनियों के किराना एवं जनरल स्टोरों को लॉकडाउन से मुक्त रखा जा सकता है. इससे लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कोई परेशानी नहीं होगी.
कोरोना वायरस देश की अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव डाल रहा है. खास तौर पर ऐसे समय में जब वर्तमान वित्तीय वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. इसको देखते हुए कैट ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि आय कर एवं जीएसटी के अंतर्गत सभी प्रकार की रिटर्न फाइलिंग और कर देयता को 30 जून तक के लिए बढ़ाया जाए. वहीं बैंकों के लोन एवं ईएमआई की वापसी की अवधि को भी 30 जून तक बढ़ाया जाए. किसी भी व्यापारी का कोई खाता एनपीए न घोषित हो, इसके लिए बैंकों को निर्देश दिए जाएं. वर्तमान वित्तीय वर्ष को विशेष परिस्थितियों में 30 अप्रैल तक बढ़ाया जाए तथा व्यापारियों को किसी भी लॉकडाउन की अवधि के दौरान अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली तनख्वाह में सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाए.