नई दिल्ली. कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में के इलाज खोजा जा रहा है. इस समय, दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोनवायरस के लिए एक टीका विकसित करने में जुटे हैं. दुनिया के करीब 100 अनुसंधान समूह 24 घंटे काम कर रहे हैं ताकि इस वायरस के लिए एक टीका विकसित किया जा सके. ऐसे में उन चार संभावित टीके जो विकसित होने की दौड़ में सबसे आगे हैं.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने तीन माह में एक वैक्सीन विकसित किया है. यह कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन की पहचान करने में शरीर को सक्षम बनाएगी. यह अभी मानव परीक्षण के पहले चरण में है. वॉलंटीयर्स पर इसकी सुरक्षा व प्रभावशीलता के लिए टीके का प्रयोग किया गया है.
मॉडर्न वैक्सीन
अमरीका के मैसाचुसेट्स स्थित बायोटेक कंपनी मॉडर्न नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के साथ मिलकर आरएनए आधारित वैक्सीन विकसित कर रही है. यह टीका शरीर में वायरल प्रोटीन बनाने के लिए कोशिकाओं को मदद करता है. इसका पहले चरण का मानव परीक्षण पूरा हो चुका है. अब दूसरे चरण का परीक्षण शुरू करने की तैयारी है.
सिनोवैक बायोटेक
चीनी वैज्ञानिक इस वैक्सीन का बंदरों पर सफल परीक्षण करने का दावा कर रहे हैं. चीनी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी सिनोवैक बायोटेक का कहना है कि इस वैक्सीन के प्रयोग के बाद बंदरों में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधकता बढ़ गई. कोरोना से काफी हद तक सुरक्षित थे. वर्तमान में इसका मानव परीक्षण चल रहा है.
फाइजर व बायोएनटेक वैक्सीन
अमरीका स्थित फाइजर फार्मास्युटिकल कंपनी व जर्मन पार्टनर बायोएनटेक चार आरएनए वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. इसका मानव परीक्षण भी शुरू हो गया है. यह आरएनए आधारित वैक्सीन है. इस वैक्सीन के मानव परीक्षण करने की तैयारी है. जल्द ही 360 स्वस्थ वॉलंटीयर पर इसका प्रयोग किया जाएगा.
देश में वैक्सीन की स्थिति
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ कोरोना वैक्सीन विकसित की है. इसका मानव परीक्षण किया जा रहा है. इसके अलावा, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, जो वॉल्यूम द्वारा टीकों की दुनिया की सबसे बड़ी निर्माता है. इसने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक संभावित टीके की 60 मिलियन खुराक के उत्पादन के लिए साझेदारी की है.