नई दिल्ली. सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ खूनी संघर्ष का बदला मैदान-ए-जंग में भारत किस तरह लेगा यह भविष्य की बात है लेकिन तत्काल प्रभाव से चीन को आर्थिक रूप से घायल करने की तैयारी हो गई है.
बता दें कि बॉर्डर पर चीन की गुस्ताखी का सेना ने मुंहतोड़ जवाब तो दिया ही. अब आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को उसकी हरकतों की सजा देने की शुरुआत हो गई है. बुधवार को सरकारी स्तर पर फैसला हो गया है कि टेलीकॉम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनी बीएसएनएल की 4जी टेक्नोलॉजी की स्थापना में चीन की कंपनियों को दूर रखा जाएगा.
भारत सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों से किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल न करने को कहा है. भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) द्वारा चीन के टेंडर को कैंसिल कर दिया गया है. साथ ही, प्राइवेट मोबाइल फोन ऑपरेटर्स के लिए भी Huawei और ZTE जैसे चीनी ब्रैंड्स से दूर रहने का नियम बनाया जा रहा है. सरकार द्वारा BSNL और MTNL से कहा गया है कि वे अपने टेंडर में बदलाव करें.
इस आदेश का Huawei और ZTE के भारत में कारोबार पर गहरा असर पड़ेगा. देश के 5G डिप्लॉयमेंट्स से ये दोनों कंपनियां प्रतिबंधित कर दी गई हैं. भारतीय टेलिकॉम इक्विपमेंट का एनुअल मार्किट 12,000 करोड़ रुपये है. इसमें से एक-चौथाई पर चीन का कब्जा है. बाकी में स्वीडन की एरिक्सन, फिनलैंड की नोकिया और साउथ कोरिया की सैमसंग शामिल है. भारतीय एयरटेल और वोडाफोन, दोनों ही Huawei और ZTE के साथ काम करते हैं.