वॉशिंगटन. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सरगना नूर वली मेहसूद को यूएन ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया. जून 2018 में तालिबान का सरगना फजलउल्लाह अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था. इसके बाद नूर को टीटीपी का सरगना बनाया गया था. नूर पाकिस्तान के कबायली इलाके में रहता है. उसे पाकिस्तानी फौज का करीबी माना जाता है. अफगानिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों के लिए अमेरिका इसे ही जिम्मेदार मानता है.
इस कदम से क्या होगा
ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित होने के बाद मेहसूद की सभी संपत्तियां सीज कर दी जाएंगी. फिर चाहे वे किसी भी देश में हों. इसके अलावा उस पर ट्रैवल बैन लगाए जाएंगे. हथियारों की खरीद फरोख्त पर भी रोक लगाई जाएगी. माना जाता है कि मेहसूद के रिश्ते अल-कायदा और आईएसआईएस से भी हैं.
मेहसूद पर क्या आरोप हैं
यूएन की प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी के मुताबिक, नूर आतंकी हमलों के लिए फाईनेंस, प्लानिंग और इससे जुड़े कामों को अंजाम देता रहा है. उसने अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन को फिर मजबूत करने की साजिश भी रची. नूर के इशारों पर अफगानिस्तान में हमले होते हैं. तालिबान के दो धड़े हैं. एक अफगानिस्तान से ऑपरेट करता है. दूसरा पाकिस्तान से. अमेरिका और तालिबान के बीच जो समझौता हुआ उसमें पाकिस्तान वाला गुट शामिल नहीं है.
खैबर पख्तूनख्वा में ठिकाना
माना जाता है कि मेहसूद पाकिस्तान के खैबर पख्तूख्वा के इलाके में रहता है. यूएन के मुताबिक, वो नॉर्थ वजीरिस्तान में पाकिस्तानी फौज पर भी हमले कर चुका है. लेकिन अमेरिका कई बार कह चुका है कि टीटीपी के आतंकियों को पाकिस्तान से पनाह मिलती है लिहाजा पाकिस्तान की फौज से मदद मिलने के बाद उसी पर हमले करने की बाद विरोधाभासी लगती है. खैबर में ही टीटीपी के कई अड्डे हैं. ये सीमा पार करने के बाद अफगानिस्तान में हमले करते हैं.