वाराणसी. धर्मनगरी वाराणसी में गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा-पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने पर अब कोई टैक्स नही लगेगा. प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने बताया कि घाट के पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे कोई भी टैक्स नहीं लिया जाएगा.
बता दें कि वाराणसी नगर निगम घाटों पर सांस्कृतिक आयोजनों के लिए प्रतिदिन चार हजार रुपये, धार्मिक आयोजन के लिए 500 रुपये प्रतिदिन व सामाजिक कार्य के लिए 200 रुपये प्रतिदिन लेने की बात थी. यह शुल्क एक से 15 दिनों तक चलने वाले आयोजनों के लिए था. इसके अलावा 15 दिन से लेकर एक साल तक चलने वाले आयोजनों पर वार्षिक शुल्क के रूप में पांच हजार रुपए था.
इस फैसले का विराेध होने के बाद उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं नगर आयुक्त गौरांग राठी से फोन पर बात की और इसे अव्यवहारिक बताया. उन्होंने इस पर तत्काल रोक लगाए जाने हेतु कहा है. मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहां की काशी एक धार्मिक नगरी है, पूरी दुनिया से लोग यहां पर आकर गंगा के घाटों पर पूजन पाठ एवं धार्मिक कार्य के साथ-साथ कर्मकांड यहां के विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा कराते हैं. ऐसी स्थिति में पंडो से शुल्क लिया जाना कतई व्यवहारिक नही है.
जुर्माना भी- नगर निगम गंगा और वरुणा किनारे कपड़े धोने, साबुन लगाकर नहाने पर 500 रुपये, कूड़ा कचरा फेंकने पर 2100 रुपये, घरों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से नदी में जल निकासी पर पहली बार 50 हजार रुपये व दूसरी बार 20 हजार रुपये जुर्माना वसूलेगा.