Monday , April 22 2024
Breaking News

आलू की महंगाई ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, जानें कीमतें बढ़ने की असल वजह

Share this

नई दिल्ली. आलू की महंगाई ने पिछले 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कोल्ड स्टोरेज आलू से भरे हैं पर कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. मोदी सरकार आलू की घरेलू सप्लाई बढ़ाने और कीमतों को काबू में लाने के लिए भूटान से 30,000 टन आलू का आयात करने जा रही है. इसके बावजूद देश के अधिकतर शहरों में आलू 50 रुपये किलो बिक रहा है. उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 31 अक्टूबर को आलू का खुदरा भाव 30 रुपये से 60 रुपये किलो है. वहीं अगर प्याज की बात करें तो यह 35 रुपये से 95 रुपये और टमाटर 10 रुपये से 80 रुपये किलो बिका.

ये है कीमतें बढ़ने की असल वजह- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में आलू 39.30 रुपये प्रति किलो के भाव से बिका जो पिछले 130 महीनों में सबसे अधिक है. आलू का फुटकर भाव आमतौर पर सितंबर से नवंबर के बीच अधिक रहती हैं,  लेकिन इस साल यह फरवरी से मार्च से ही महंगा होना शुरू हो गया पिछले साल की तुलना में इस बार इसका स्टोरेज कम हुआ है. देश भर के स्टोरेज में इस बार 36 करोड़ बैग (हर बैग 50 किलो का) का भंडारण हुआ था, जबकि पिछले साल 48 करोड़ बैग और उसके पिछले साल 2018 में 57 करोड़ बैग का भंडारण हुआ था.  मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर के आंकड़ों के मुताबिक इस बार 214.25 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था, जबकि पिछले साल 2018-19 में 238.50 लाख आलू कोल्ड स्टोरेज में था. भारत ने इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच नेपाल, ओमान, सऊदी अरब और मलेशिया को 1.23 लाख टन आलू निर्यात किया था. 

Share this
Translate »