नई दिल्ली. कांग्रेस ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मोदी सरकार पर आर्थिक अपराध में शामिल लोगों को देश से भगाने और उनका साथ देने का आरोप लगाया. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि मोदी सरकार भगोड़ों का साथ और भगोड़ों का विकास कर रही है. गौरव वल्लभ ने कहा कि सरकार पैसा वसूलने के बजाए लोगों को भगाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार का एक मॉडल बन चुका है कि देश से एक्सपोर्ट करते हैं भगोड़ों और वो भगोड़े बाहर जाकर उन्हीं की कंपनी में बनी वस्तुएं और सेवाएं देश में भेजते हैं और देश की सरकार उन्हों भगोड़ों से वस्तुएं खरीदती है.
गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया, मैं बात कर रहा हूं संदेसरा ग्रुप की, यह लाइन खत्म ही नहीं हो रही है. इसमें नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या शामिल हैं. जैसे ही इन लोगों पर ईडी की कार्रवाई शुरू होती है, यह लोग देश छोड़ कर चले जाते हैं. इन पर कोई रोक टोक नहीं होती. वापस लाने के नाम पर कहते हैं वो लोग इंटरपोल के नोटिस खारिज करवा देते हैं. सरकार इस पर चुप्पी साधे रहती है. इसके बाद वो वहां से वस्तुएं और सेवाएं भेजते हैं, जिन्हें भारत सरकार खरीदती है.
उन्होंने कहा, सरकार ने इन लोगों को आर्थिक भगोड़ा घोषित कर दिया है. पिछले सात सालों में सरकारी बैंकों का पैसा लेकर, सरकारी सरकारी संरक्षण में फ्लाइट पकड़ कर विदेश जाओ. वहां से बीच पर आराम फरमाते हुए फोटो भेजो. और अब तो एक कदम और आगे बढ़ गया है. वहां से वस्तुएं और सेवाएं देश को बेचो और सरकार इन वस्तुओं को खरीद रही है. वल्लभ ने कहा कि मध्यम और निम्न आय वर्ग का व्यक्ति अखराब खोलता है तो देखता है कि आज पेट्रोल के दाम कितने बढ़े. आज डीजल के दाम कितने बढ़े और अगर महीने की शुरुआत है तो रसोई गैस के दाम कितने बढ़े.
संदेसरा ग्रुप के जरिए सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, जिस वक्त गरीब आदमी महंगाई की खबरें देख रहा होता है, उसी वक्त संदेसरा ग्रुप के चार लोगों नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ति संदेसरा और हितेश कुमार नरेंद्र भाई पटेल ने देश के सरकारी बैंकों को 15 हजार करोड़ का चूना लगाया. इन लोगों ने अक्टूबर 2017 में ईडी इनके खिलाफ केस दर्ज करती है. केस दर्ज करने के कुछ समय पहले ही यह देश छोड़ कर चले जाते हैं. पता नहीं इनका ईडी के साथ तालमेल है कि केस दर्ज करने से पहले ही यह देश छोड़ कर चले जाते हैं.
वल्लभ ने कहा कि हम जैसे लोग अगर एक महीने की ईएमआई चुकाने में देरी कर देते हैं तो बैंक हमारा मकान कुर्क कर लेते हैं और यह लोग यहां से 15 हजार करोड़ रुपये लेकर नाइजीरिया में आराम फरमा रहे हैं. वहां की सरकार कह रही है कि हम इन्हें नहीं भेजेंगे. भारत सरकार इन्हें वापस लाने पर चुप्पी साधे बैठी है. इन्होंने इंटरपोल के नोटिस भी खारिज करवा दिए. इतना तो कई लोगों ने किया. लेकिन लोगों ने वहां व्यापार शुरू कर दिया और भारत सरकार इनसे वस्तुएं और सेवाएं खरीद रही है.