नई दिल्ली. यूपी के लखीमपुर हिंसा मामले में दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर बुधवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में देर से रिपोर्ट दाखिल करने पर कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई. यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे से चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमने बीती रात 1 बजे तक आपके जवाब का इंतजार किया था.
बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा था कि 20 अक्टूबर को होने वाले अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब दाखिल कर दें
गवाहों के बयान दर्ज करने में ढिलाई पर भी कोर्ट नाराज
आज सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि हम कल बंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप चुके हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए. अदालत ने ये भी पूछा कि इस मामले में क्क सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए? कोर्ट ने कहा कि आपने 44 में से अभी तक 4 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों? ऐसा लगता है कि यूपी पुलिस इस मामले की जांच से पीछे हट रही थी. इस छवि को सुधारिए.
कोर्ट ने आगे कहा कि आपकी एसआईटी यह समझ सकती है कि सबसे कमजोर गवाह कौन-से हैं और उन पर हमला हो सकता है, तो फिर अभी तक सिर्फ 4 गवाहों के ही बयान दर्ज क्यों किए गए? इस पर साल्वे ने जवाब दिया कि प्रक्रिया अभी जारी है. पहली एफआईआर के आधार पर अब तक 10 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में कितने आरोपी पुलिस हिरासत में और कितने न्यायिक हिरासत में हैं, क्योंकि जब तक पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर लेती, तब तक हमें इस मुद्दे पर ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाएगी. साथ ही कोर्ट ने नसीहत दी कि ये एक अंतहीन कहानी नहीं हो सकती. उनसे कहिए कि गवाहों के बयान दर्ज करवाएं, इसके साथ ही गवाहों की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है. इस पर साल्वे ने भरोसा दिया कि गवाहों को सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी.
26 अक्टूबर को अगली सुनवाई
यूपी सरकार ने दूसरे गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए और समय की मांग की तो अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय कर दी. साथ ही कहा कि इससे पहले अगली स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करें.
पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने लगाई थी फटकार
लखीमपुर मामले की पिछली सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की जांच पर नाखुशी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे से पूछा कि हत्या का मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई? ऐसा करके आप क्या संदेश देना चाहते हैं?
उधर, एसआईटी को लखीमपुर हिंसा के दौरान फायरिंग होने के सबूत मिल गए हैं. अब बस ये साफ होना बाकी है कि गोली किस-किसकी बंदूक से चली? इसके लिए पुलिस बैलिस्टिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के आरोपी बेटे आशीष को छोड़ बाकी आरोपियों ने ये कबूल किया है कि वे उस वक्त मौके पर थे. उन्होंने ये भी कहा है कि वे डिप्टी ष्टरू केशव मौर्य की अगवानी के लिए जा रहे थे. इस दौरान उन्हें भीड़ ने घेर लिया और भीड़ से बचने के लिए उन्होंने फायर किए. बता दें कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर में हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मुख्य आरोपी है.