नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह अपने पद पर बने रह सकेंगे या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. हालांकि स्ष्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर मंगलवार को नरम रुख दिखाया था. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कार्यकाल 6 साल तक के लिए हो सकता है.
बीसीसीआई के नए ऑफिशियल्स का चुनाव 2019 में हुआ था. इसमें सौरव गांगुली अध्यक्ष, जय शाह सचिव, अरुण धूमल कोषाध्यक्ष और जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव चुने गए थे. चुनाव के दो महीने बाद ही बीसीसीआई ने कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड?
लोढ़ा कमेटी के सिफारिशों के मुताबिक 2018 में लागू हुए बीसीसीआई के संविधान के अनुसार कोई भी पदाधिकारी 6 साल तक लगातार दो बार पद पर रहता है, तो उसे 3 साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होगा. इसके मुताबिक, पदाधिकारी लगातार 6 साल स्टेट बॉडी में या बीसीसीआई में रहा हो, या दोनों जगह मिलाकर 6 साल रहा हो. तब भी उसे 3 साल का गैप लेना ही होगा. संविधान के अनुसार 6 साल पूरा होने के बाद पदाधिकारी किसी भी पद पर बने और चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाता है.
बीसीसीआई की यह है आपत्ति
इस मामले में बीसीसीआई का कहना है कि कूलिंग ऑफ पीरियड किसी सदस्य के एक ही स्थान पर लगातार छह साल तक पद संभालने के बाद आना चाहिए, न कि स्टेट फेडरेशन या बीसीसीआई या दोनों को मिलाकर. मौजूदा संविधान के मुताबिक पदाधिकारी अगर राज्य संघ या बीसीसीआई या इन दोनों को मिलाकर छह साल का कार्यकाल पूरा करता है तो उसे कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होगा.
गांगुली समेत 5 सदस्यों के 6 साल पूरे
वर्तमान समय में बीसीसीआई में प्रेसिडेंट सौरव गांगुली सहित पांच पदाधिकारियों ने 6 साल पूरे कर लिए हैं. गांगुली का कूलिंग ऑफ़ पीरियड जुलाई 2020 के बाद से शुरू हो गया है, वह 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे, जबकि 2015 में वह अध्यक्ष बने और सितंबर 2019 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया, लेकिन इसके बाद वह बीसीसीआई में अध्यक्ष बने.
जय शाह 2014 में गुजरात क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव बने थे. कुछ अंदरूनी रिकॉर्ड बताते हैं कि उनका यह कार्यकाल आठ सितंबर 2013 से शुरू हुआ था. यानी सितंबर 2013 से अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई सेक्रेटरी बनने से पहले उन्होंने पांच साल अपने पूरे कर लिए थे, जबकि अगले महीने वह बीसीसीआई में भी तीन साल पूरे गए लेंगे, यानी के पूरे आठ साल.
वाइस प्रेसिडेंट राजीव शुक्ला सांसद होने की वजह से बीसीसीआई पदाधिकारी बनने के अयोग्य हैं, क्योंकि बोर्ड के संविधान के मुताबिक कोई नेता पदाधिकारी नहीं हो सकता है. उनके भी 6 साल पूरे हो चुके हैं. वहीं कोषाध्यक्ष अरुण धूमल और संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज के भी स्टेट बॉडी और बीसीसीआई को मिलाकर 6 साल पूरे हो चुके हैं.