नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प0 बंगाल के एक मामले में दिए गए फैसले से एक तरह से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि पश्चिम बंगाल में मई में होने वाले पंचायत चुनाव की प्रक्रिया और चुनाव के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया है।
गौरतलब है कि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर मांग की थी कि राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाये कि पंचायत चुनावों के नामांकन फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाये। साथ ही तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों की कथित गुंडागर्दी रोकने के लिए मतदान केंद्रों पर सीआरपीएफ को तैनात किया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हालांकि, सभी उम्मीदवार इस मामले में राहत के लिए पश्चिम बंगाल निर्वाचन आयोग जा सकते हैं।
इतना ही नही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में नामांकन भरने की अंतिम तारीख आगे बढ़ाने से भी इन्कार कर दिय।. जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने कहा, ‘हमने चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन सभी उम्मीदवारों को जरूरी राहत के लिए राज्य निर्वाचन आयोग जाने की आजादी दी है।’
ज्ञात हो कि भाजपा ने छह मार्च को कोर्ट से कहा था कि पश्चिम बंगाल में ‘लोकतंत्र की हत्या’ की जा रही है, क्योंकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस व्यापक पैमाने पर चुनावी हिंसा में लिप्त है। आगामी पंचायत चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल नहीं करने दे रही है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नियुक्त सहायक पंचायत चुनाव पंजीकरण अधिकारी भाजपा उम्मीदवारों को नामांकन के फॉर्म देने से इन्कार कर रहा है। पश्चिम बंगाल भाजपा ने नामांकन पत्र ऑनलाइन उपलब्ध करवाने की मांग की थी। राज्य में पंचायत चुनाव एक, तीन और पांच मई को होने हैं. वोटों की गिनती आठ मई को होगी।