नई दिल्ली। तमाम कवायद के बाद आखिरकार इस बार विपक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट हो गया है। जिसके तहत आज महाभियोग के प्रस्ताव पर 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें 7 दलों के सांसद शामिल हैं। इसके बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद अन्य नेताओं को साथ लेकर उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू से मिले और उन्हें प्रस्ताव सौंपा। नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और मुस्लिम लीग शामिल हैं।
वहीं इस सिलसिले में एक प्रेस काफ्रेंस के दौरान आजाद ने कहा कि हमने राज्यसभा चैयरमेन से एक हफ्ते पहले वक्त मांगा था। इस प्रस्ताव को 7 दलों का समर्थन मिला है। हमने उपराष्ट्रपति से मुलाकात में हमने उनसे सिर्फ इतना कहा कि हमारे पास इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए जरूरी समर्थन है। प्रस्ताव को 71 सांसदों ने हस्ताक्षर कर समर्थन दिया है। आजाद बोले कि चीफ जस्टिस को हटाने के 5 कारण हैं जो प्रस्ताव में बताए गए हैं।
जबकि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान के अंतर्गत कोई जज अगर मिसबिहेव करता है तो उसे हटाया जा सकता है। कपिल सिब्बल ने इस दौरान वो प्रस्ताव भी मीडिया के सामने पढ़ा जिसमें सीजेआई पर महाभियोग की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि जब से चीफ जस्टिस ने पद संभाला है तब लेकर अब तक उनके काम के तरीके पर सवाल उठे हैं। लोकतंत्र में न्यायपालिका बेहद अहम है लेकिन सीजेआई ने पद का गलत इस्तेमाल किया। न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और सीजेआई के खिलाफ 4 जज सामने आए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हाल के दिनों में जो हुआ वो निराशाजनक है। इतना ही नही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग पर सार्वजिनक रूप से चर्चा किए जाने को ‘‘ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण ’’ करार दिया और अटॉर्नी जनरल से यह जानकारी मांगी कि क्या इसे रोका जा सकता है। विपक्ष के महाभियोग पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की बैठक बुलाई है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति ए.के. सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी इसे लेकर बहुत विक्षुब्ध हैं।’’
ज्ञात हो कि विपक्षी दलों की यह बैठक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बुलाई है। ध्यान रहे कांग्रेस ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का विकल्प अभी खुला हुआ है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा उठाए गए सवालों का सीजेआई ने अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला है।
हालांकि तमाम विपक्षी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस न्यायपालिका की स्वतंत्रता बरकरार रखने को लेकर बेहद चिंतित है। सरकारी दखलंदाजी से न्यायिक व्यवस्था की हिफाजत होनी चाहिए। इसके लिए लोगों को तत्पर रहना होगा। ध्यान रहे हाल में संपन्न संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस ने सीजेआइ के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा के 50 से अधिक सदस्यों का हस्ताक्षर हासिल करने की पहल शुरू की थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस जैसे कुछ दलों की आपत्तियों के कारण उसने अपनी इस पहल को राक दी। कहा कि वह इस मुद्दे पर अधिक से अधिक समर्थन जुटाने का प्रयास करेगी।